भिलाई। गृहिणियों की अपनी संस्था “स्वयंसिद्धा” ने मिनी इंडिया का फुल क्रेडिट उन महिलाओं को दिया है जिन्होंने भिलाई को अपना घर बना लिया. ‘स्वयंसिद्धा – अ मिशन विद अ विशन’ ने अपने स्थापना दिवस के अवसर पर इसकी खूबसूरत प्रस्तुति दी कि कैसे इस्पात बनाने आए युवाओं की पत्नियों ने इसे मिनी इंडिया बना दिया. सेक्टर-4 स्थित एसएनजी के प्रेक्षागृह में आयोजित इस संध्या की मुख्य अतिथि पद्मविभूषण डॉ तीजन बाई थीं. देश विदेश में कापालिक शैली की पंडवानी की सुगंध बिखेरने वाली गनियारी गांव की तीजन भी भिलाई की बहू रही हैं.
“स्वयंसिद्धा” ने भिलाई की बहुओं की कहानी 1955 के दशक से शुरू की. उन दिनों भिलाई की कोई पहचान नहीं थी. भिलाई इस्पात संयंत्र की नींव रखने वाले युवाओं को कोई बेटी नहीं देना चाहता था. उन्हें लगता था कि एक अनाम जंगल झाड़ी वाले शहर में बेटी कैसे रह पाएगी. कैसे वो अन्य प्रांतों के लोगों के साथ तालमेल बैठाएगी. उनके पर्व त्यौहारों का क्या होगा? पर भिन्न-भिन्न प्रांतों से आई इन महिलाओं ने अड़ोसी-पड़ोसियों के साथ बहनापा जोड़ा और फिर शुरू हुई भाषा, खान-पान, पहनावा-ओढ़ावा और रहन-सहन को एक करने की जद्दोजहद. उनकी यह कोशिश रंग लाई और भिलाइयन्स की तीसरी, चौथी या पांचवी पीढ़ी को देखकर इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता कि उसके माता-पिता या दादा-दादी किस राज्य से यहां आए थे. छोटे-छोटे प्रसंगों से स्वयंसिद्धा ने भिलाई के सामाजिक इतिहास को मंच पर पुनर्जीवित कर दिया.
स्वयंसिद्धा की इस प्रस्तुति से लोग ऐसा जुड़े की तीन घंटे से अधिक समय तक चले इस शो से कोई भी दर्शक टस-से-मस नहीं हुआ. वे सभी इन नाट्यों से स्वयं जो जोड़ पा रहे थे. इनमें शहर के तमाम समाजों के प्रमुख, बुद्धिजीवी, लेखक, कवि, नाट्यशिल्पी और अन्य कलाकार शामिल थे. 100 से ज्यादा महिलाओं को एक मंच पर लाकर स्वयंसिद्धा की संयोजक डॉ सोनाली चक्रवर्ती ने मिनी इंडिया के बीच एक और मिनी इंडिया की रचना कर दी थी. यह उनका जन्मदिवस भी था.
मुख्य अतिथि डॉ तीजन बाई कार्यक्रम को देखकर भावविभोर हो उठीं. शो के बीच उनके लिए मंच पर ही आसन की व्यवस्था कर दी गई. भिलाई की बहुओं के विशेष आग्रह पर उन्होंने संभवतः पहली बार बिना तंबूरे के भी मंच से पंडवानी के संवादों की अदायगी की. उन्होंने सोनाली एवं अन्य बहुओं को गले से लगाकर उन्हें बधाई दी. उन्होंने कहा कि इस आयोजन को देखकर वे बेहद भावुक हो गई हैं. उन्होंने डॉ सोनाली चक्रवर्ती की पहली पुस्तक ‘छोटा ख्याल’का विमोचन भी किया. इस अवसर पर स्वयंसिद्धा गीत को भी पहली बार प्रस्तुत किया गया.
आरंभ में युग निर्माण के कलाकारों ने देश की महान विदूषियों को मंच पर प्रस्तुत किया. इसमें इंदिरा गांधी, द्रौपदी मुर्मू से लेकर तीजन बाई के किरदारों को बेहद प्रभावी ढंग से प्रसंगों के साथ प्रस्तुत किया गया. अंत में दर्शकों के प्रति धन्यवाद एवं कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए सोनाली ने कहा कि केवल 15 दिन की तैयारी से भिलाई की बहुओं ने इस विशाल कंसेप्ट को मंच पर प्रस्तुत किया है. प्रतिदिन इन गृहिणियों ने भरी गर्मी में घंटे दो घंटे का समय निकाला और तैयारियां करती रहीं. कई बार उन्हें डांट डपट भी करनी पड़ी. पर सभी महिलाओं ने कार्यक्रम की सफलता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के चलते चुपचाप उसे स्वीकार किया. यही स्वयंसिद्धा की असली सफलता है. लक्ष्य साफ हो तो महिलाएं उसके लिए अपना इगो तक घर पर रखकर निकल पड़ती हैं. उन्होंने रिहर्सल के दौरान अपने व्यवहार के लिए सभी से खुले दिल से माफी भी मांगी.
स्वयंसिद्धा की प्रस्तुति “भिलाई की बहू” में बिपाशा हालदार, रीता वैष्णव, देवजानी, दीपा तिवारी, दीपा, ईजा मारिया नेलसन, मेनका वर्मा, डॉ अलका दास, अंजू चंदनिहा, सोमाली शर्मा, अनिता चक्रवर्ती, गीता चौधरी, लक्ष्मी साहू, माधुरी राय बिजौरिया, मधुरिमा रॉय, ममता बिस्वाल, मंजू, नीलिमा शुक्ला, नीता, प्रिया, पूर्णिमा लाल, राजकुमारी, रूमा वर्धन, संजीत कौर, शीला प्रकाश, स्मिता, सोमा बोस, सोनल, सुमन, वंदना नंदमवार सहित शताधिक महिलाएं शामिल थीं. इस अवसर पर स्वयंसिद्धा की ही एक और परियोजना “कच्ची धूप” के बाल कलाकारों ने भी अपनी प्रस्तुति दी.