भिलाई। 25 वर्षीया इस युवती का खाना-पीना लगभग बंद हो चुका था. जो कुछ भी मुंह में डालती वह गले में जाने से पहले ही बाहर निकल आता. जब जान पर बन आई तब जाकर वह हाइटेक अस्पताल पहुंची. गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ आशीष देवांगन ने बताया कि दरअसल, युवती एक दुर्लभ बीमारी है जिसमें गले के ऊपरी हिस्से में जाला बन जाता है और आहार नली लगभग बंद हो जाती है.
डॉ आशीष ने बताया कि खाने-पीने में हो रही असुविधा के कारण युवती की सेहत बिगड़ रही थी. उसका वजन भी काफी कम हो चुका था. एंडोस्कोपी करने पर पता चला कि उसके गले के ऊपरी हिस्से में जाला बन गया है. इसे मेडिकल भाषा में Esophageal web कहते हैं. दरअसल, आहार नली का ऊपरी और निचला हिस्सा अलग-अलग होता है. विकास क्रम में दोनों की बीच की खाली जगह में म्यूकस का जाल बन जाता है. यह आहार नली को लगभग ढंक लेता है. ऐसा आनुवांशिक कारणों से हो सकता है. यह एक दुर्लभ स्थिति है. उन्होंने इससे पहले केवल एक 45 वर्षीय महिला के ईसोफेजियल वेब का इलाज किया था. यह बीमारी महिलाओं में ही ज्यादा पाई जाती है.
उन्होंने बताया कि एंडोस्कोप की मदद से ही जाल को डाइलेट कर आहार नली के रास्ता खोल दिया गया. साथ ही मरीज को आवश्यक हिदायतें दी गई हैं. इसमें भोजन और उसे ग्रहण करने की विधि पर ज्यादा जोर दिया जाता है.