भिलाई। अधेड़ आयु का एक मरीज हाईटेक पहुंचा. उसका पेट खिंचकर तन गया था. उसे सांस लेने तक में तकलीफ हो रही थी. मरीज ने बताया कि काफी समय से उसका पेट साफ नहीं हो रहा है. भोजन सामने आते ही मितली आने लगती है. पेट में मरोड़ के साथ दर्द भी होता है. यह समस्या पिछले कई महीनों से बनी हुई थी पर अब जाकर जीवन-मरण का प्रश्न खड़ा हो गया था.
गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ आशीष देवांगन ने बताया कि आंत का नियंत्रण आंतरिक तंत्रिका तंत्र करता है. ये एक स्वतंत्र तंत्रिका तंत्र है जिसका कामकाज केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से बिलकुल अलग होता है. ये सीधे तौर पर पाचन प्रणाली के लिए ज़िम्मेदार होता है. इसका एक प्रमुख कार्य अंतड़ियों की उस चाल को बनाए रखना भी है जो भोजन और मल को धीरे-धीरे आगे बढ़ाती रहती है. इस चाल में शिथिलता भी रोगों को जन्म दे सकती हैं. इस मामले में भी ऐसा ही हुआ था.
डॉ देवांगन ने बताया कि रोगी की बड़ी आंत (Colon) में गैस भरी हुई थी. छोटी और बड़ी दोनों ही आंत में कोई चाल नहीं थी. इसलिए वह मलत्याग नहीं कर पा रहा था. हमने सबसे पहले तो Colonoscope द्वारा उनकी बड़ी आंत में फंसी हवा को निकाल दिया (colonoscopic decompression). ऐसा करते ही उनकी छोटी आंत भी हरकत में आ गई. अब रोगी स्वतः मलत्याग कर रहा है.
डॉ देवांगन ने बताया कि उम्र के साथ हमारा पाचन तंत्र सुस्त पड़ने लगता है. इस तरह की परेशानियों का होना आम है. इससे बचने के लिए भोजन में पर्याप्त मात्रा में रेशा, पर्याप्त मात्रा में पानी पीना और 4-6 किलोमीटर पैदल चलना जैसी कसरत को दिनचर्या का हिस्सा बनाना चाहिए. ऐसा करने पर पेट स्वस्थ रह सकता है.