भिलाई। संत्री ड्यूटी के दौरान सीआईएसएफ के एक संत्री के कान में कीड़ा घुस गया. स्थानीय चिकित्सक ने उसे निकालने की बहुत कोशिश की पर कान लहूलुहान हो गया. दवा लेने के बाद भी वह रात भर परेशान रहा. दूसरे दिन सुबह उसे हाईटेक ह़ॉस्पिटल लाया गया जहां ईएनटी विशेषज्ञ ने उनके कान से एक लगभग पौन सेंटीमीटर आकार का जीवित कीड़ा निकाला.
डॉ अपूर्व वर्मा ने बताया कि कान शरीर का एक नाजुक अंग है. इसका केवल बाहरी हिस्सा ही मजबूत होता है. इसके भीतर का हिस्सा अत्यंत कोमल होता है. यदि कान में कीड़ा घुस जाए और अपने आप बाहर न निकले तो तत्काल मरीज को किसी ईएनटी विशेषज्ञ के पास ही लेकर जाना चाहिए. उसके पास खास कान के भीतर झांकने के लिए आवश्यक उपकरण होते हैं और वह इन बाहरी तत्वों को निकालने का कौशल भी. जीवित कीड़ा को बाहर निकालने की कोई भी दूसरी कोशिश कान को काफी नुकसान पहुंचा सकती है.
डॉ वर्मा ने बताया कि कीड़ा काफी बड़ा था इसलिए वह पर्दे तक नहीं पहुंचा. पर उसने अपनी सूंड़ से कान के पर्दे को बार-बार छुआ. इसी वजह से मरीज रात भर पीड़ा से तड़पता रहा. बार-बार छेड़छाड़ के कारण पर्दा लाल हो चुका था. मरीज को सही समय पर अस्पताल लाया गया जिसके कारण उसके कान का पर्दा बच गया.