भिलाई। पीलिया का यह एक अनोखा मामला था. 50 वर्षीय इस मरीज को पिछले लगभग छह माह से एकाएक पीलिया हो जाता और फिर अपने आप ही वह उतर भी जाता. पित्ताशय ये पित्त की नली में कहीं कोई दिक्कत नहीं थी. हाइटेक सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल में मरीज की जांच गैस्ट्रो विशेषज्ञ डॉ आशीष देवांगन ने की तो इसका राज खुल गया. दरअसल, मरीज को Ampula Growth की शिकायत थी.
डॉ आशीष देवांगन ने बताया कि पित्त लिवर में बनता है. यहां से आकर वह पित्ताशय में जमा होता है. यहां से पित्त की नली से होता हुआ वह छोटी आंत के प्रथम भाग डूओडेनम तक पहुंचता है. यहां एक छोटे से छिद्र से होकर पित्त और पैन्क्रियास से निकले एंजाइम छोटी आंत में पहुंचते हैं. इन दोनों नलिकाओं के मिलन स्थल को वैटर्स या वाटर्स का एम्पुला कहा जाता है. यह एक कलश जैसी संरचना होती है.
उन्होंने बताया कि इस मरीज के Ampulla of Vater में वृद्धि थी जिसके कारण पित्त के प्रवाह में रुकावट आ रही थी. जब पित्त का रास्ता रुक जाता तो मरीज को पीलिया हो जाता. जैसे ही रुकावट खुलती पीलिया उतर जाता था. मरीज को जब हाइटेक लाया गया था तो उसे पीलिया चढ़ा हुआ था. पहले उसे उतारना जरूरी थी. इसके लिए ERCP Stenting की गई ताकि उसका पीलिया उतर सके. एम्पुला से बायप्सी के लिए सैम्पल लिया गया. इसकी रिपोर्ट पाजीटिव आई है. ईआईसीपी स्टेंटिंग के बाद मरीज को फिलहाल पीलिया नहीं है.
डॉ देवांगन ने बताया कि Ampulla of Vater की कोशिकाओं में जब वृद्धि होती है तो वहां एक गांठ पड़ जाती है. यहां घाव बन सकता है, कैंसर भी हो सकता है. इसलिए इसका तत्काल पता लगाया जाना और इलाज करना जरूरी हो जाता है. थोड़ी भी लापरवाही से कैंसर आसपास के ऑर्गन्स पैन्क्रियाज, लिवर, पित्त नली या छोटी आंत तक फैल सकती है.