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गुस्ताखी माफ : आप-कांग्रेस-भाजपा और बंदर-बिल्ली कथा

Jul 4, 2023
BJP-Congress and AAP the cat and monkey story

यह कहानी पुरानी है. एक बार दो बिल्लियो को रोटी का एक टुकड़ा मिला. दोनों ने रोटी के दो टुकड़े करने का फैसला किया पर यह करे कौन यह तय नहीं हो पाया. तभी एक बंदर वहां पहुंचा. बंदर भी भूखा था. बिल्लियों के पास रोटी का टुकड़ा देखा तो उसके मुंह में पानी भर आया. वह लपक कर उनके पास पहुंचा और रोटी के बराबर दो टुकड़े करने का प्रस्ताव दिया. बिल्लियों ने थर्ड पार्टी को सहर्ष स्वीकार कर लिया. अब बंदर ने रोटी के दो टुकड़े किये और फिर उन्हें मिलाकर देखा. एक टुकड़ा दूसरे से बड़ा प्रतीत हुआ. उसने उस टुकड़े में से थोड़ा सा दांतों से काट लिया. पर दूसरा टुकड़ा बड़ा हो गया. बंदर ने दूसरे टुकड़े में भी दांत गड़ाए और इस तरह धीरे-धीरे रोटी के दो टुकड़ों को बराबर करने की कोशिश में रोटी छोटी होती गई और एक समय आया जब खत्म भी हो गई. बिल्लियां भूखी रह गईं और बंदर पेट भर कर चला गया. यही स्थिति फिलहाल छत्तीसगढ़ में राजनीतिक दलों की है. भाजपा केन्द्र में बेहद मजबूत है तो प्रदेश में कांग्रेस का एकछत्र राज चल रहा है. भाजपा के लगभग सभी दांव छत्तीसगढ़ में मुंह के बल गिरे हैं. दोनों ही दल पिछले कुछ समय से बुद्धिजीवियों को अपने पक्ष में करने की जुगत बिठा रहे हैं. कभी डाक्टरों को, कभी वकीलों को, कभी चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को तो कभी व्यापारी संगठनों को बुलाकर उनसे अलग-अलग चर्चा कर रहे हैं. ऐसे समय में आम आदमी पार्टी ने भी छत्तीसगढ़ में जबरदस्त एंट्री मारी है. केजरीवाल की आमसभा नड्डा की आमसभा से ज्यादा सफल रही है. “आप” अब तक गुपचुप काम करती रही है. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ अब तीन दलों का अखाड़ा बन गया है. ऊपर-ऊपर देखने से लगता है कि “आप” का मुकाबला भाजपा से है. पर ऐसा है नहीं. भाजपा और “आप” केवल सैद्धांतिक रूप से एक दूसरे के खिलाफ हैं. भाजपा का आरोप है कि “आप” रेवड़ियां बांटकर सत्ता में आ रही है. वहीं “आप” का कहना है कि भाजपा मुनाफाखोरों की पार्टी है. दिलचस्प सवाल यह है कि इस लड़ाई में कांग्रेस कहां है? कांग्रेस और “आप” बुनियादी तौर पर एक जैसी पार्टियां हैं. फर्क केवल यह है कि “आप” के कार्यकर्ता एक मजबूत आइडियोलॉजी से जुड़े हैं जबकि कांग्रेस में ज्यादा संख्या ऐसे लोगों की है जो ज्यादा जोर नहीं लगाना चाहते. आप और कांग्रेस दोनों सेकुलर पार्टियां हैं. इन दोनों का वोटबैंक एक ही है. पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को भाजपा के मुकाबले 10 प्रतिशत अधिक वोट मिले थे. इस बीच दोनों पार्टियां का वोट शेयर बढ़ता रहा है. तीसरी चुनौती हाशिए पर जाती रही है. अब तीसरी चुनौती आने के बाद वोटों का बंटना तय हो गया है. इसमें कांग्रेस को ही ज्यादा नुकसान होने की संभावना है जिसका लाभ भाजपा को मिल सकता है. कांग्रेस को होने वाला नुकसान भाजपा को विजयी बना सकता है.

Display image source-  themoralstories.in

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