दुर्ग। शासकीय डाॅ. वा. वा. पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा प्रेमचंद जयंती का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्राचार्य डाॅ सुशीलचन्द्र तिवारी ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्रेमंचद ने अपने साहित्य में नारी को केन्द्र बिन्दु में रखकर अनेक कहानियां एवं उपन्यास की रचना की। उनकी कहानियों में अशिक्षा, गरीबी, अंधविश्वास सभी कुछ है जो आज की परिस्थितियों को लेकर लिखी गई है। जिसमें गरीबी, दलितों एवं शोषित वर्ग का चित्रण है। उनकी कहानियों एवं उपन्यासों में वर्णित पात्रों से हमें आज के संदर्भ में जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है। हिन्दी विभाग की सहायक प्राध्यापक श्रीमती ज्योति भरणे ने कहा कि प्रेमचंद जी ने अपने साहित्य के माध्यम से श्रमिकों की आर्थिक व्यवस्था, ग्रामीण जीवन की दुर्बलता, सामंती व्यवस्था, हिन्दू-मुस्लिम एकता, जमीदारों व पुलिस के अत्याचार आदि तात्कालीन एवं गांधीवादी विचारों पर प्रकाश डाला। प्रेमचंद ने कहानी और उपन्यास को मनोरंजन के स्तर से ऊपर उठकर जनजीवन को यथार्थता से जोड़ने का कार्य किया। डिकेश्वरी साहू, जास्मीन राठौर, वत्सल कोहरे ने प्रेमचंद की कहानियों का पाठ किया। पूजा चेलक, प्रेरणा सुकतेल ने कहा कि प्रेमचंद ने अपने कथा साहित्य में ग्रामीण जीवन का यथार्थ और प्रमाणित चित्रण किया है जो आज भी प्रासंगिक है। कार्यक्रम का संचालन डाॅ आरती राठौर ने तथा आभार प्रदर्शन डाॅ यशेश्वरी ध्रुव ने किया। इस अवसर पर गीतांजली, किरण सोनबेर, मुस्कान, मीनिषा एवं बी ए प्रथम वर्ष व बी एस-सी प्रथम वर्ष की छात्राएं उपस्थित रहीं।