दुर्ग। शासकीय डाॅ. वा.वा. पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में स्नातकोत्तर भूगोल विभाग के तत्वाधान में सांख्यिकी भूगोल पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। भूगोल परिषद के द्वारा आयोजित व्याख्यान माला की श्रृंखला में सांख्यिकी भूगोल के महत्व पर शासकीय दिग्विजय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, राजनांदगांव के भूगोल विभागाध्यक्ष डाॅ. के.एन. प्रसाद का व्याख्यान आयोजित किया गया।
भूगोल विभाग की अध्यक्ष डाॅ. सुषमा यादव ने बताया कि डाॅ. प्रसाद ने सांख्यिकी भूगोल की नई जानकारियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस का महत्व डेटा एकत्र करने तथा विश्लेषण करने में अधिक है। इसके अन्तर्गत भौगोलिक एवं क्षेत्रीय आयाम का अध्ययन एवं अभ्यास किया जाता है। इसमें स्थानिक विश्लेषण की तकनीकों का उपयोग करके भौगोलिक क्षेत्रों को परिभाषित किया जाता है।
इसके अन्तर्गत भौगोलिक क्षेत्रों को सांख्यिकी उद्देश्यों के लिये वहाँ की गतिविधियों का विष्लेषण किया जाता है। जैसे कि भारत सांख्यिकी ब्यूरो, सांख्यि की भूगोल के प्रायोजनों के लिए मानक भौगोलिक वर्गीकरण का उपयोग करता है। उन्होंने अपने व्याख्यान में सांख्यिकी प्रभाग एवं उपखण्ड तथा स्थानीय क्षेत्र और जनगणना पर भी प्रकाश डाला।
विभागाध्यक्ष डाॅ. सुषमा यादव ने अपने संबोधन में कहा कि भूगोल विषय में 1950-60 दशक के पश्चात् मात्रात्मक क्रांति का सूत्रपात हुआ जिससे सांख्यिकी का प्रयोग भूगोल में बढ़ने लगा।
कार्यक्रम का संचालन डाॅ. नितिन कुमार ने किया। इस कार्यक्रम में सुनीता बेर, किरण साहू के साथ ही बड़ी संख्या में छात्राएँ उपस्थित थी।
इस कार्यक्रम का संचालन अमित सिंह तथा आभार प्रदर्शन रश्मि नौरंगे द्वारा किया गया।