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कृत्रिम गर्भाधान से ही संभव है देश में श्वेत-क्रांति – डॉ शशिभूषण साहू

Dec 14, 2023
Artificial insemination is the only solution to meet milk requirement of India - Dr SB Sahu

भिलाई। हालांकि दुग्ध उत्पादन के मामले में भारत ने अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया है पर प्रति व्यक्ति दूध की बात करें तो देश अब भी काफी पीछे है. ऐसा, गौवंश की भारी-भरकम संख्या के बावजूद है. इसकी एकमात्र वजह है देसी नस्लों की दूध उत्पादन क्षमता. कृत्रिम गर्भाधान को अपनाकर दुग्ध उत्पादन क्षमता को कई गुना बढ़ाया जा सकता है. उक्त बातें केन्द्रीय वीर्य संग्रहण केन्द्र के एडिशनल डिप्टी डायरेक्टर डॉ शशिभूषण साहू ने कहीं. वे ग्राम समोदा में आयोजित एमजे कालेज रासेयो शिविर के बौद्धिक सत्र को संबोधित कर रहे थे.
एमजे कालेज की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा आयोजित विशेष शिविर का आज तीसरा दिन था. बौद्धिक सत्र में शिविरार्थियों को आशीर्वाद देने के लिए डॉ साहू के साथ ग्राम सरपंच श्रीमती भुनेश्वरी देशमुख, रोजगार सहायक श्रीमती लोकेश्वरी दिल्लीवार तथा शासकीय प्राथमिक शाला समोदा के शिक्षक सुरेन्द्र कुमार के अलावा दुग्ध किसान भी उपस्थित थे. आरंभ में सभी अतिथियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्प-अर्पण एवं पूजा अर्चना कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया.
डॉ साहू ने बताया कि देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नस्लों की गायें मिलती हैं जिनमें से कुछ की दुग्ध उत्पादन क्षमता काफी अच्छी है. इनमें गीर, साहिवाल, रेड सिन्धी, थारपारकर, आदि प्रमुख हैं. छत्तीसगढ़ की एकमात्र पंजीकृत नस्ल कोसली है. यह छोटी होती है और इसकी दुग्ध उत्पादन क्षमता भी काफी कम होती है. कृत्रिम गर्भाधान के द्वारा इसकी नस्ल सुधारी जा सकती है. इससे इसकी मौजूदा दुग्ध उत्पादन क्षमता में चार से छह गुना तक का इजाफा हो सकता है.


डॉ साहू ने बताया कि मवेशियों की संख्या बढ़ाने की बजाय उत्पादन क्षमता बढ़ाना इसलिए भी जरूरी है कि देश में चारागाह तेजी से सिमट रहे हैं. इसलिए वैज्ञानिक दो तरीकों पर काम कर रहे हैं. सेलेक्टिव रीप्रोडक्शन के द्वारा हम अपनी जरूरत के हिसाब से बछड़ा या बछिया पैदा कर सकते हैं. दूसरा स्थानीय नस्ल का उत्पादन बढ़ा सकते हैं. इसके लिए पशु पालकों और डेयरी किसानों में कृत्रिम गर्भाधान के प्रति जागृति लानी होगी.
डॉ साहू ने पशुओं में होने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए उपलब्ध टीकों की भी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि खुर वाले जानवरों को परेशान करने वाली खुरहा-चपका रोग का भी जल्द ही अंत होने वाला है. इसका टीका जल्द ही बाजार में आ जाएगा. उन्होंने कुत्तों में होने वाली रेबीज की बीमारी के संबंध में भी उपस्थितजनों को सारगर्भित जानकारी दी. कुत्तों में रेबीज के आरंभिक लक्षणों की पहचान बताने के साथ ही इस लाइलाज प्राणघातक रोग से बचने के उपाय भी बताए.
ग्राम सरपंच भुनेश्वरी देशमुख ने चर्चा के दौरान शिविरार्थियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि स्कूल सहित गांव के कई हिस्सों में नए सिरे से स्वच्छता अभियान चलाकर उन्होंने इसे पुनः गति दे दी है. साथ ही उन्होंने शिविरार्थियों को हर संभव सहयोग का वायदा भी किया.
सत्र के पश्चात सुरेन्द्र कुमार ने काफी वक्त स्वंयसेवकों के साथ बिताया. शिविरार्थियों को प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के अलावा व्यक्तित्व विकास से जुड़ी अनेक जानकारियां प्रदान कीं. कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ रासेयो स्वयंसेवक दीपेश ने किया. इस अवसर पर रासेयो कार्यक्रम अधिकारी शकुन्तला जलकारे, वीरेन्द्र वाल्डेकर, अजय वर्मा, दीपक रंजन दास सहित सभी शिविरार्थी उपस्थित थे.

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