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सोलार पैनल पर ‘पार्थ’ को लगा लिया तो लाइफ झींगालाला

May 27, 2018

भिलाई। लगातार महंगी होती बिजली के बीच सोलार पैनल न केवल अक्षय ऊर्जा का स्रोत है बल्कि इससे प्रदूषण, पानी और र्इंधन की भी बचत होती है। पर सौर किरणों को ऊर्जा में बदलने के लिए लगने वाले सोलार पैनलों की सफाई अपने आप में एक बड़ा सिरदर्द रहा है। टेक बिल्ड का ‘पार्थ’ इस समस्या का सस्ता एवं बेहतर साधन है। सोराल पैनलों को साफ और ठंडा रखना इसके उत्पादन क्षमता को 15 से 45 फीसदी तक बढ़ा सकता है।भिलाई। लगातार महंगी होती बिजली के बीच सोलार पैनल न केवल अक्षय ऊर्जा का स्रोत है बल्कि इससे प्रदूषण, पानी और र्इंधन की भी बचत होती है। पर सौर किरणों को ऊर्जा में बदलने के लिए लगने वाले सोलार पैनलों की सफाई अपने आप में एक बड़ा सिरदर्द रहा है। टेक बिल्ड का ‘पार्थ’ इस समस्या का सस्ता एवं बेहतर साधन है। सोराल पैनलों को साफ और ठंडा रखना इसके उत्पादन क्षमता को 15 से 45 फीसदी तक बढ़ा सकता है।‘पार्थ’ को श्रीशंकराचार्य टेक्निकल कैम्पस के एक्स स्टूडेंट्स की टीम ने बनाया है। टीम लीडर हर्ष जैन ने बताया कि सोलर पैनलों को साफ रखना होता है। कम तापमान पर सोलर पैनल बेहतर काम करते हैं। अब तक इसके लिए लोग पानी और स्क्रैपर का इस्तेमाल करते रहे हैं। इसमें एक आदमी पैनल पर पानी छींटकर उसे स्क्रैपर से साफ करता चलता है। इसमें पानी ज्यादा लगता है और एक आदमी को लगातार लगाए रखना पड़ता है। सफाई भी ठीक से नहीं हो पाती। कुछ बड़ी कम्पनियों के महंगे डिवाइस भी हैं जो सफाई तो करते हैं पर पावर और पानी की उनकी जरूरत ज्यादा होती है।
टेक बिल्ड का ‘पार्थ’ इन सभी समस्याओं का हल है। इसमें प्रति 100 पैनल की सफाई में केवल 5 मिनट लगते हैं। 1.4 लीटर पानी में 100 पैनलों की ऐसी चकाचक सफाई होती है कि वह नया लगने लगता है। इससे बिजली उत्पादन 15 से 45 फीसदी तक बढ़ जाता है। यह सस्ता है और फिलहाल किराए पर उपलब्ध है। लगभग 10 किलो के इस सिस्टम को आसानी से उठाया और दूसरे पैनल ऐरे पर रखा जा सकता है। यह एक सामान्य यूपीएस बैटरी से चल जाता है।
हर्ष एवं उनकी टीम ने इसका प्रदर्शन इंडस्ट्री विशेषज्ञों एवं श्रीशंकराचार्य टेक्निकल कैम्पस के प्राध्यापकों, श्रीगंगाजली एजुकेशन सोसायटी के अध्यक्ष आईपी मिश्रा एवं डायरेक्टर पीबी देशमुख के समक्ष किया। इसे प्रायोगिक तौर पर इसी कैम्पस में उपयोग में लाया जा रहा है।

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