ध्यान योग का मनुष्य जीवन में बड़ा महत्व है. ध्यान योग से व्यक्ति अपने चित्त को शांत कर सकता है. चित्त शांत होगा तो अच्छी-बुरी सभी घटनाओं को वह तटस्थ भाव से देख सकेगा. मानव मन के पांच विकार – काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार पर इससे प्रभावी रोक लगाई जा सकती है. इसके साथ ही पवित्रता, शांति, शक्ति, प्यार, खुशी, ज्ञान और गंभीरता जैसे आत्मा के सात गुणों को उभारा भी जा सकता है. घृणा की राजनीति के एक दशक बाद इसकी जरूरत बड़ी शिद्दत के साथ महसूस की जा रही थी. इसकी शुरुआत राष्ट्रपति भवन से हो चुकी है. अब इसका विस्तार पुलिस थानों में होगा. गर्व का विषय है कि इसकी शुरुआत भी छत्तीसगढ़ से हो रही है. पुलिस थानों की एक अहम जिम्मेदारी पारिवारिक झगड़ों को सुलझाना भी है. समाज अपनी इस जिम्मेदारी से दशकों पहले किनारा कर चुका है. एकल परिवारों के मनमुटावों को सुलझाने वाला अब कोई नहीं है. पति और पत्नी दोनों की अपनी-अपनी मित्र मंडली होती है. इसमें सदमित्र कम और चाटूकार ज्यादा होते हैं. वो समझाते कम और भड़काते ज्यादा हैं. साल-डेढ़ साल कुत्ता-बिल्ली की तरह लड़ने के बाद उन दंपतियों में भी बोलचाल बंद हो जाती है, जिन्होंने दो-चार साल के प्रेम के बाद विवाह कर लिया था. अब ऐसे मामले तलाक पर जाकर खत्म होने लगे हैं. कंपैटिबिलिटी (अनुकूलता) भारत के लिए एक नया शब्द है. इसका आजकल खूब उपयोग हो रहा है. प्यार करने के लिए जो कंपैटिबिलिटी चाहिए, अकसर वह वैवाहिक जीवन में काम नहीं आती. प्यार करने वाले एक दूसरे के लिए कुर्बानियां देते हैं, विवाहित लोग अपने-अपने अधिकारों के लिए झगड़ते हैं, अपना प्राइवेट स्पेस मांग रहे होते हैं. अच्छे दोस्त और ईमानदार रिश्तेदार ऐसे मामलों में दंपति की काफी मदद कर सकते हैं पर करते नहीं हैं. इसलिए यह दायित्व पुलिस को निभाना पड़ रहा है. वहां भी लोग पुलिस की बात नहीं सुनते. उनका वकील भी उन्हें पुलिस के झांसे में नहीं आने की ही सलाह देता है. ऐसे में पुलिस का काम और मुश्किल हो जाता है. उसके पास एक-एक दंपति से बात करने के लिए पूरा दिन नहीं होता. इसलिए अब लड़-झगड़ कर थाना पहुंचने वालों के लिए एक अलग कमरा बनाया जाएगा. इसकी शुरुआत राजधानी रायपुर के पुलिस लाइन स्थित महिला सेल से हो चुकी है. यहां एक ध्यान कक्ष की व्यवस्था की गई है. लड़ झगड़ कर थाना आने वाले दंपतियों को इस कक्ष में बैठाया जाएगा. यह कक्षा साउंड प्रूफ होगा. बैठने की व्यवस्था जमीन पर होगी. कक्ष में धीमे स्वर में ध्यान का संगीत सुनाई देगा जो मन को शांत करेगा. यह बहुत कुछ ब्रह्मकुमारियों के राजयोग जैसा है. पुलिस को उम्मीद है कि यहां से बाहर निकलने के बाद दंपतियों को अपनी बेवकूफियां समझ में आ जाएंगी और वे अपना रिश्ता स्वयं संभालने लायक हो जाएंगे. पुलिस का सिरदर्द कम होगा.
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