नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने दिल्ली सरकार की शक्तियों को सीमित करने वाले केंद्र के नोटिफिकेशन को संदिग्ध माना है। 21 मई को जारी हुए इस नोटिफिकेशन के एक दिन बाद ही एक लॉ स्टूडेंट ने हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की। इस याचिका में कोर्ट से गृह मंत्रालय के उस नोटिफिकेशन को किनारे रखने तथा लेफ्टिनेंट गवर्नर को चीफ सेक्रटरी या इसके समकक्ष किसी भी पद की नियुक्ति करने में अक्षम घोषित करने की मांग की गई है।
इस मुद्दे पर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच तनातनी होने के बाद से केंद्रीय मंत्री और अफसर सार्वजनिक रूप से बयान दे रहे हैं कि राज्य सरकार उनके नोटिफिकेशन को चुनौती दे रही है। केंद्र के नोटिफिकेशन में लेफ्टिनेंट गवर्नर को नौकरशाहों की नियुक्ति का अधिकार भी दिया गया है। सोमवार को गृह मंत्रालय द्वारा जारी नोटिफिकेशन में कहा गया था कि दिल्ली सरकार की एंटी करप्शन ब्रांच के पास केंद्रीय अधिकारियों पर लगे भ्रष्टाचार मामलों में जांच करने का अधिकार नहीं होगा। हाई कोर्ट ने इस नोटिफिकेशन को खारिज कर दिया।
विभोर आनंद नाम के लॉ स्टूडेंट द्वारा दायर की गई इस पीआईएल में कहा गया है, ‘संसद दिल्ली की सरकार को एक प्रतिनिधि सरकार के तौर पर देख रही है। ऐसे में लेफ्टिनेंट गवर्नर के पास ज्यादा शक्तियां होंगी।’ आनंद ने याचिका के जरिए कोर्ट से शकुंतला गैमलिन की चीफ सेक्रटरी पद पर हुई नियुक्ति को ‘अवैध’ घोषित करने का भी आग्रह किया।