19 और 20 नवम्बर 2022 को छत्तीसगढ़ ने इतिहास रच दिया. इसी साल मई में राज्य में ऐसे अस्पतालों का पंजीयन प्रारंभ हुआ था जहां अंग प्रत्यारोपण के लिए पर्याप्त सुविधाएं मौजूद हैं. इसकी तैयारी छह साल पहले रमन सरकार ने शुरू की थी. छत्तीसगढ़ में मानव अंग एवं उत्तक प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 और 2014 (संशोधित) लागू हैं. पर अब जाकर यह संभव हो पाया है. ऐसा तब संभव हुआ जब 44 वर्षीय ब्रेन डेड मरीज अमरजीत कौर के परिजन इसके लिए आगे आए. रामकृष्ण केयर अस्पताल में एक साथ चार आपरेशन थिएटर में चली सर्जरियों की इस श्रृंखला में अमरजीत कौर के अंगों को निकालने के साथ ही उन्हें रोगियों को प्रत्यारोपित भी कर दिया गया.
डॉ. संदीप पांडे, डॉ. विशाल कुमार, डायरेक्टर महामारी डा. सुभाष मिश्रा ने बताया कि 19 नवम्बर शनिवार को ब्रेनडेड अमरजीत कौर को अस्पताल लाया गया. उनके ब्रेन डेड होने की पुष्टि के लिए दो बार टेस्ट किये गये. पुष्टि होने के बाद उन्हें ओटी में लिया गया. 65 यूनिट रक्त का इंतजाम पहले ही कर लिया गया था. सर्जन और पैरामेडिक्स की 100 सदस्यीय टीम पहले से तैयार थी. जिन्हें आर्गन लगाए जाने थे उन्हें भी ओटी में पहुंचा दिया गया. इसके बाद शुरू हुई लगभग 32 घंटे की लंबी प्रक्रिया. अमरजीत के शरीर से सभी दान योग्य आर्गन प्राप्त किये गये और उन्हें जरूरतमंदों को दान कर दिया गया.
अमरजीत के परिजनों ने बनाया संभव
ब्रेन डेड पेशेन्ट 12 अंग प्राप्त किये जाते हैं. इनमें 2 किडनी, लीवर, पैंक्रियाज, 2 कार्निया, लंग्स, हार्ट वॉल्व, ब्लड वेसल्स, मसल्स और लिगामेंट, कर्टिलेजस, बोनमेरो और स्किन और लेते हैं. अमरजीत कौर से भी ये सभी अंग प्राप्त किये गये. दधीचि अमरजीत की पार्थिव काया को परिजनों को सौंपा गया. यह बेहद भावुक पल था. अमरजीत के परिजनों ने महामानव बनकर इस ऐतिहासिक पल की नींव रखी थी. उन्हें धन्यवाद कहने, उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए किसी के भी पास शब्द नहीं थे. बस आंखें नम थीं.
भारत को चाहिए सैकड़ों अमरजीत
देश में हर साल 80 हजार से अधिक लीवर ट्रांसप्लांट की जरूरत है. लेकिन केवल 700 से 800 ही डोनर मिल पाते हैं. किडनी के 2 लाख डोनर की जरूरत है, लेकिन दानदाता 10 से 15 हजार ही मिलते हैं.