नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और स्वतंत्रता सेनानी मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न देने के फैसले पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मुहर लगा दी है। अटल बिहारी वाजपेयी और मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न उनके जन्मदिन के दिन दिया जाएगा, जो 25 दिसंबर को है। >>>साथ ही, केन्द्र सरकार 25 दिसंबर का दिन ‘गुड गवर्नेंस डेÓ नाम से भी मनाएगी। वाजपेयी पहले ऐसे दक्षिणपंथी नेता हैं, जिन्हें भारत रत्न का सम्मान दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत रत्न का सम्मान देने का यह फैसला भाजपा के नेताओं के साथ हुई एक बैठक में लिया है। इस बैठक में अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह और अमित शाह शामिल थे। अब तक कुल 43 लोगों को भारत रत्न का सम्मान दिया जा चुका है।
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर में हुआ था, जो भारत के 11वें प्रधानमंत्री बने। पहले यह 1996 में 13 दिनों के लिए प्रधानमंत्री बने और फिर उसके बाद 19 मार्च 1998 से लेकर 19 मई 2004 तक सत्ता की बागडोर प्रधानमंत्री की तरह संभाली।
अटल बिहारी वाजपेयी 1942 में राजनीति में आए, जब उन्हें उनके भाई प्रेम के साथ भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान 23 दिनों के लिए गिरफ्तार किया गया था। दिसंबर 2005 में वाजपेयी जी ने राजनीति से संन्यास ले लिया था। वाजपेयी जी को 9 बार लोकसभा के लिए और दो बार राज्य सभा के लिए चुना गया।
मोरारजी देसाई की कैबिनेट में इन्होंने विदेश मंत्री का पद भी संभाला था। बीजेपी का गठन करने वालों में एक नाम अटल बिहारी वाजपेयी का भी है।
पंडित मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसंबर 1861 में इलाहाबाद में हुआ था। इनकी मृत्यु 84 वर्ष की उम्र में 12 नवंबर 1946 में बनारस में हुई। मदन मोहन मालवीय एक शिक्षक और स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्हें इनके कामों के लिए ‘महामनाÓ की उपाधि से भी सम्मानित किया गया था।
यह 1909 और 1918 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के प्रेसिडेंट रहे। 1916 में मालवीय जी ने ही बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी और 1919 से लेकर 1938 तक इसके वाइस चांसलर भी रहे। मालवीय जी ने पहली बार 1886 में राजनीति में कदम रखा था, जब इन्होंने दादाभाई के नेतृत्व में कोलकाता में हो रहे दूसरे इंडियन नेशनल कांग्रेस सम्मेलन में हिस्सा लिया था।