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प्रकृति के साथ जीना सिखाती है भारतीयता

Mar 2, 2015

dr sacchidanand joshiदुर्ग। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि हमारी संस्कृति संपूर्ण सृष्टि की चेतना को केन्द्र में रखकर विकसित हुई है। इसलिए वसुधैव कटुम्बकम का विचार भारतीय संस्कृति का मूल विचार है। हमें प्रकृति के साथ जीना सिखाया गया है। उसका दमन करना नहीं। धर्मो में भी प्रकृति के साथ जुड़ने की बात कही गयी है। read more
डॉ जोशी शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय में छत्तीसगढ़ इतिहास परिषद का प्रथम अधिवेशन और राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इतिहास भी प्रकृति सहित सबको साथ लेकर चलने की चेतना से परिचालित होता है। इसलिए कृषकों, श्रमिकों और आदिवासियों के भीतर की आंदोलनकारी खलबली का संदर्भ भी प्रकृति के साथ उनके रिश्तों से जुड़ा हुआ हैं।
विशिष्ट अतिथि इतिहासकार डॉ. रमेन्द्र नाथ मिश्र एवं डॉ. लक्ष्मी शंकर निगम थे। अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुशील चन्द्र तिवारी ने की। समारोह में छत्तीसगढ़ इतिहास परिषद के अध्यक्ष डॉ. आभा पाल भी उपस्थित थीं।
डॉ. लक्ष्मी शंकर निगम ने कहा कि इतिहासकारों को अत्यंत सावधानी के साथ ऐतिहासिक तथ्यों को प्रस्तुत करना चाहिए, मिथकों, महाकाव्यों, किंवदंतियो और जनश्रुतियोंं को प्रामणिकता की कसौटी पर परीक्षण किए बिना इतिहास की तरह प्रस्तुत नही करना चाहिए। डॉ. रमेन्द्र नाथ मिश्र ने छत्तीसगढ़ के इतिहास के महत्वपूर्ण प्रसंगों का उल्लेख करते हुए क्षेत्रीय इतिहास की उपयोगिता का विवेचन किया। डॉ. आभा पाल ने आषा व्यक्त की कि छत्तीसगढ़ इतिहास परिषद के माध्यम से प्रदेष की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को सही परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया जा सकेगा। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य डॉ. सुशील चन्द्र तिवारी ने कहा कि संगोष्ठी में व्यक्त विचारों के आलोक में छत्तीसगढ़ के इतिहास को समझने की दृष्टि विकसित होगी।

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