भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आदेश दिया है कि आंगनवाड़ी के बच्चों को अंडा न दिया जाए। उन्होंने प्रस्ताव रखा है कि खाने में न ही उबला अंडा रखा जाए और न ही अंडा करी। उनका यह प्रस्ताव विवादों में घिर गया है। शिवराज सिंह चौहान खुद शाकाहारी हैं। ऐक्टिविस्ट्स का कहना है कि खाने में अंडा देने से बच्चों को प्रोटीन मिलता है। खासतौर से आदिवासी इलाकों में, जहां बच्चों में कुपोषण एक बड़ी समस्या है। शिवराज के प्रमुख सेक्रटरी एस.के मिश्रा ने कहा, ‘मुख्यमंत्री जी के लिए यह पहले दिन से ही भावनात्मक मुद्दा रहा है। वैसे भी प्रोटीन के लिए अंडे के अलावा और भी कई विकल्प उपलब्ध हैं।’ इससे पहले शिवराज सिंह चौहान ने सार्वजनिक रूप से कहा था, ‘बच्चों को दूध और केले दिए जाएंगे, लेकिन अंडे कभी नहीं।’ हालांकि, प्रॉजेक्ट आॅफिसर्स ने सलाह दी है कि हफ्ते में दो या तीन बार बच्चों को अंडा दिया जाना चाहिए। Read more
शिवराज के इस प्रस्ताव का कई लोग समर्थन कर रहे हैं तो कई लोग भारी विरोध। दिगंबर जैन महासमिति के प्रवक्ता अनिल बदकुल ने कहा, ‘क्या अंडे पेड़ों पर उगते हैं? अंडा खाने से बहुत से साइड इफेक्ट होते हैं। बच्चे जब मांसाहारी खाना खाते हैं तो वे असंवेदनशील हो जाते हैं। हमें बच्चों को भी बचाना है और अंडों को भी।’
वहीं राइट टु फूड कैंपेन के ऐक्टिविस्ट सचिन जैन का कहना है कि एमपी सरकार का यह फैसला अवैज्ञानिक है। उनका कहना है कि कई राज्यों में बच्चों को अंडा खिलाने के बाद उनके स्वास्थ्य में सुधार आया है।