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रेन वाटर हारवेस्टिंग की तैयारी प्रारंभ करें

Jun 5, 2015

rain water harvestingप्रो. प्रशांत कुमार श्रीवास्तव/5 जून विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष। आज समूचा विश्व पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करता है और शनै: शनै: समय व्यतीत होने पर हम अपनी प्राथमिकताओं को बदलते जाते हं। जैसा कि लगातार समाचार माध्यमं एवं मौसम विभाग से सूचना प्राप्त हो रही है कि इस वर्ष मानसून अपेक्षाकृत सामान्य से कम रहेगा। अत: हम सभी का यह दायित्व बढ़ जाता है कि अपने भविष्य के लिए वर्षा के जल को संरक्षित करने का प्रयास करें। इन्हीं प्रयासों में से एक है रेन वॉटर हारवेस्टिंग अर्थात वर्षा जल संग्रहण। जून का महीना आरंभ हो चुका है और लगभग जून माह के मध्य में मानसून हमारे छत्तीसगढ़ प्रदेश में प्रवेश करेगा अत: हमारे पास लगभग एक पखवाड़े का समय है रेन वॉटर हारवेस्टिंग से संबंधित तैयारियों को अंजाम देने का। Read More
लगातार बढ़ती जनसंख्या के मद्देजर हमे अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु भूजल भंडारण की तकनीकों का समुचित विकास करना होगा। वैसे हमारे छत्तीसगढ़ प्रदेश के धान के खेत वर्षा जल संग्रहण हेतु सर्वाधिक उपयुक्त माने जाते हैं। वर्षा के जल का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा ही भूमिगत जल के रूप में उपलब्ध हो पाता है। शेष 60 से 65 प्रतिशत जल वाष्पीकरण वाष्पोत्सर्जन एवं सतही प्रवाह के रूप नदी नालों के माध्यम से व्यर्थ चला जाता है।
विभिन्न क्षेत्रों में वर्षा के जल को भूमिगत जल में परिवर्तित करने के लिए उस क्षेत्र में उपस्थित मिट्टी तथा चट्टानों की प्रकृति जिम्मेदार होती है। जिन क्षेत्रों में संरन्ध्र एवं परगम्य चट्टानें उपस्थित होंगी वहां वर्षा के जल को रिसने तथा भूमिगत प्रवाह हेतु सुलभ रास्ता उपलब्ध होगा। ठीक इसके विपरीत असंरन्ध्री एवं अपारगम्य चट्टानों वाले क्षेत्र में जल के प्रवाह में बाधा के फलस्वरूप भूमिगत जल के भंडारण में वृद्धि नहीं हो पाती। वर्षा के जल का व्यर्थ बहने वाला हिस्सा यदि वैज्ञानिक तरीकों के माध्यम से भूमि के अंदर प्रविष्ट करा दिया जाये तो निश्चित रूप से भूमिगत जल के भंडारण में वृद्धि होगी तथा ग्रीष्म ऋतु में प्रतिवर्ष होने वाली पेयजल समस्या, हैंड पंप के सूखने आदि समस्याओं से काफी हद तक छुटकारा मिल सकता है। कुओं एवं नलकूपों में पानी की आवक बढ़ेगी।
रेन वाटर हारवेस्टिंग प्रक्रिया में ध्यान रखने वाली कुछ प्रमुख बातें निम्नानुसार हैं –
वर्षा के प्रारंभिक एक या दो दिन के छतों पर एकत्रित होने वाले जल को रेन वाटर हारवेस्टिंग हेतु उपयोग में नहीं लेना चाहिए क्योंकि यह जल प्रदूषित होता है। ग्रीष्म ऋतु में अधिक तापमान के कारण प्रदूषण तत्व हल्के होने के कारण वायुमंडल में बड़ी मात्रा में उपस्थित होते हैं तथा पहली या दूसरी बारिश के दौरान ये सभी प्रदूषक तत्व बारिश के पानी के साथ पृथ्वी की भूसतह तक आ जाते हैं यह एक प्रकार की भूसतह तक आ जाते हैं। यह एक प्रकार से अम्लीय प्रकृति का जल होता है। यदि हम इसे भूमि के अंदर प्रविष्ट करा दें तो समूचा भूमिगत जल का भंडार प्रदूषित हो जायेगा।
बहुत सारे लोगों के मन में यह भी भ्रांति है कि यदि वो रेन वाटर हारवेस्टिंग करवाते हैं तो उनके मकान में पानी की हमेशा उपलब्धता बनी रहेगी। ऐसा कदापि नहीं होता। दरअसल पृथ्वी की सतह के नीचे भूमिगत जल प्रवाहित होता रहता है। जब हम रेन वाटर हारवेस्टिंग के जरिये वर्षा के जल को भूसतह के अंदर प्रविष्ट कराते हैं तो समूचे क्षेत्र के जल स्तर में वृद्धि होती है न कि किसी मकान विशेष के नीचे की।
रेन वाटर हारवेस्टिंग की प्रचलित विधियों में रिचार्ज पिट (गड्ढा), हैंडपंप/बोर द्वारा पुनर्भरण, गुरुत्वतीय शीर्ष पुनर्भरण, अनुपयोगी हैंडपंप/बोर द्वारा पुनर्भरण तथा पाइल स्तंभ कालम के जल रिसने की विधियां प्रमुख हैं। रेन वाटर हारवेस्ट करने के दौरान फिल्टर का उपयोग अति महत्वपूर्ण होता है।
रेन वाटर हारवेस्टिंग हेतु उपयोग में लाया जाने वाला रिचार्ज पिट (गड्ढा) सामान्यतया 4 से 6 फीट चौड़े तथा 7 से 10 फीट गहरे बनाये जाते हैं। खुदाई के पश्चात इन गड्ढों को नीचे से 50 फीसदी गहराई तक एक इंच साइज गिट्टी तथा फिर ऊपर 34 फीसदी गहराई तक पौन इंच साइज की गिट्टी तथा सबसे ऊपर शेष बचे 16 फीसदी क्षेत्र में रेत/कोयले का चूर्ण भर देते हैं। रिचार्ज किए जाने वाले जल में किसी भी प्रकार के प्रदूषक तत्व एवं मिट्टी के कण उपस्थित नहीं होना चाहिए। रिचार्ज पिट गोलाकार वर्गाकार अथवा आयताकार किसी भी आकृति का हो सकता है। मकानों की छतों को हमेशा साफ रखना आवश्यक है अन्यथा छत को कचरा वर्षा के जल में शामिल हो जाएगा। छत पर एकत्रित जल को 50 से 100 मिलीमीटर व्यास वाले पाइप की सहायता से रिचार्ज पिट (गड्ढे) तक पहुंचाया जाता है। इसी पाइप में फिल्टर भी लगा होता है। आम तौर पर एक मकान में रेनवाटर हारवेस्टिंग की प्रक्रिया स्थापित करने हेतु 5 से 10 हजार रुपए के बीच खर्च आता है परन्तु भविष्य में होने वाली जल की अनुपलब्धता संबंधी परेशानी से बचने का यह महत्वपूर्ण तरीका है।
रायपुर में रेन वाटर हारवेस्टिंग प्रक्रिया संबंधी जानकारी हेतु पं. रविशंकर शुक्ल विवि रायपुर का भूविज्ञान विभाग, शासकीय विज्ञान महाविद्यालय रायपुर एवं एनआईटी रायपुर के भूविज्ञान विभागों से संपर्क के साथ साथ निजी भूजल विशेषज्ञों से भी सम्पर्क किया जा सकता है। दुर्ग-भिलाई ट्विन सिटी में रेन वाटर हारवेस्टिंग संबंधी जानकारी हेतु शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय (साइंस कालेज) के भूगर्भशस्त्र विभाग से सम्पर्क किया जा सकता है।
सहायक प्राध्यापक, भूगर्भशास्त्र विभाग, शास.वीवायटी पीजी कालेज, दुर्ग
मोबाइल – 9827178920

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