• Thu. May 2nd, 2024

Sunday Campus

Health & Education Together Build a Nation

पेपरलेस हुआ दुर्ग निगम, कम्प्यूटर पर काम

Mar 18, 2016

durg-nagar-nigamदुर्ग (निसं)। नगर पालिक निगम दुर्ग द्वारा प्रदेश में सर्व प्रथम यू आर एल सिस्टम तैयार कर अपना साइट तैयार किया गया है। इसके लिए निगम के डाटा सेंटर में आज निगम अधिकारियों और कर्मचारियों को नोडल द्वारा ट्रेनिंग दिया गया। इसके अंतर्गत समस्त विभाग प्रमुखों, संबंधित लिपिकों को प्रोजेक्ट मैनेजमेंट एवं मॉनिटरिंग और फाईल ट्रेकिंग के साथ दस्तावेजों, प्रकरणों का सम्पादन कर सकेगें। नगर पालिक निगम दुर्ग की सभी विभागों की नस्तियॉ ऑनलाईन होगा। Read More ट्रेनिंग के दौरान निगम आयुक्त एसके सुन्दरानी सहित कार्यपालन अभियंता एके दत्ता, सहा अभियंता आरके जैन, भवन अधिकारी राजेश पाण्डेय, नोडल अधिकारी टीके देव, राजस्व अधिकारी जेएल ठाकुर, स्वास्थ्य अधिकारी बीएल केशवानी, बाजार अधिकारी केके हरमुख, स्थापना शाखा अधीक्षक राजकमल बोरकार, कर्मशाला अधीक्षक बीरेन्द्र ठाकुर, लेखा शाखा पूनाराम देवांगन, रमाकान्त शर्मा, जलकार्य छगन साहू समस्त उपअभियंतागण और समस्त अन्य विभागीय अधिकारीगण उपस्थित थे। इस संबंध में जानकारी देते हुये आयुक्त ने बताया कि नगर निगम दुर्ग में यह सिस्टम को अपनाया जा रहा रहा है। इसके साथ प्रचलित नस्तियों में बारकोड चस्पा किया जाएगा। इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि संबंधित प्रकरण नस्ती किस विभाग में गया है और कहॉ जा रही हैं। वहीं विभागों से फाईलें गुमने की समस्या नहीं होगी। नस्तियॉ ऑनलाईन होने के बाद सभी नस्तियॉ कम्प्यूटराईज्ड हो जाएगा।

इससे निगम की छबि सुधरेगी वहीं पारदर्शिता के साथ साफ-सुथरा निगम प्रशासन स्थापित होगा। जानकारी में बताया कि अब तक आवेदनों, प्रकरणों को मैनुअली प्राप्त कर उसका फाईलिंग कार्य विभाग प्रमुख के निर्देशन में संबंधित लिपिक द्वारा किया जाता है इससे प्रकरण का निराकरण में देरी के साथ प्रकरण की स्थिति का पता नहीं चल पाता है। विभाग अधिकारी के साथ लिपिक और संबंधित आवेदक नस्ती के लिए परेशान होते हैं। नगर पालिक निगम दुर्ग द्वारा तैयार साइट के माध्यम से समस्त विभाग आपस में लिंक रहेगें। सभी विभागीय अधिकारियों को लिकिंग आई डी और पासवर्ड दिया जाएगा । किसी भी विभाग से संबंधित आवेदन या प्रकरण फाईल लिंक होने पर पता लगाया जा सकेगा की अमुक फाइल किस विभाग में हैं और किसके पास हैं। इस प्रक्रिया से एक तो पत्रचार के माध्यम से पता लगाने की आवश्यकता नहीं होगी और इसमें लगने वाली समय का भी बचत होगा। इसके साथ ही जब संबंधित लिपिक को वह प्रकरण आवेदन लिंक के माध्यम से प्राप्त होगा तो वह उसकी प्रविष्टि कर उसमें बारकोड चस्पा कर पंजीबद्ध कर रखेगा। इससे फाईल गुमने की स्थिति खत्म हो जाएगी। इसके साथ प्रकरणों पर किये जाने वाली कार्रवाही का उच्चाधिकारियों को केवल लागिंग करने से वस्तु स्थिति का पता लग जाएगा और वे संबंधित आवेदक को उसकी जानकारी देकर संतुष्ट कर सकेगें।

Leave a Reply