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कलेक्टर ने अरसनारा स्कूल में ली क्लास

Aug 22, 2016

collector-R-Shangeetaहिन्दी, अंग्रेजी और विज्ञान विषयों पर पूछे सवाल, बच्चों को दिए बेहतर शिक्षा के टिप्स
दुर्ग। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम शिक्षा गुणवत्ता अभियान के कलेक्टर आर. शंगीता ने पूर्व माध्यमिक शाला अरसनारा में क्लास लगाई। उन्होंने कक्षावार बच्चों से मुलाकात की तथा गणित, अंग्रेजी, हिन्दी, विज्ञान और सामान्य ज्ञान की जानकारी ली। कलेक्टर ने इन बच्चों से जहां हिन्दी और अंग्रेजी के पाठों के अंशों को पढ़वाया वहीं यह भी देखा कि वे इस अंश के अर्थ को कितने बेहतर तरीके से समझ पायें हैं। कलेक्टर ने इन बच्चों की लिखने की क्षमता, पहाड़ा, गणितीय कौशल, विज्ञान की समझ का भी मूल्यांकन किया और विभिन्न विषयों में प्रश्न पूछकर कक्षा के शैक्षणिक दृष्टि से अग्रणी विद्यार्थियों के साथ-साथ कमजोर बच्चों की प्रतिभा का भी आकलन किया। कलेक्टर ने बच्चों और ग्रामीणों से कहा कि वे शिक्षा के स्तर को ऊंचा करें, इसी से बच्चों का भविष्य बेहतर बनेगा।
डॉ. कलाम शिक्षा गुणवत्ता अभियान के पिछले वर्ष के परिणामों के विश्लेषण के बाद इस वर्ष शालाओं का मूल्यांकन कक्षाओं को फोकस में रखकर किया जा रहा है। इस वर्ष जिले के 150 प्राथमिक और 59 उच्च प्राथमिक कुल 209 शालाओं को मूल्यांकन के लिए चिन्हांकित किया गया है। 16 अगस्त से प्रारंभ इस अभियान के अंतर्गत 31 अगस्त के मध्य जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों द्वारा शालाओं का निरीक्षण किया जा रहा है। पिछले वर्ष सामाजिक अंकेक्षण के रूप में स्कूलों के संबंध में 100 बिन्दुओं पर जानकारी प्राप्त की गई थी। इस वर्ष स्कूल के प्रत्येक कक्षा का आंकलन 10 प्रमुख बिन्दुओं के आधार पर किया जा रहा है। इनके द्वारा बच्चों के सामान्य ज्ञान, अंग्रेजी और गणित के स्तर को समझने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। मूल्यांकन के दौरान किसी भी कक्षा को सफल तभी माना जाएगा जब कक्षा के तीन-चैथाई विद्यार्थी अर्थात् 75 प्रतिशत विद्यार्थी पूछे गए 10 प्रश्नों में से कम से कम 7 प्रश्न अर्थात 70 प्रतिशत का सही जवाब दे पाते हैं। अभियान के अंतर्गत आगामी जनवरी माह में फिर से इन स्कूलों का मूल्यांकन किया जाएगा।
जिला कलेक्टर श्रीमती शंगीता आकस्मिक रूप से स्कूल पहुंचीं। उन्होंने सबसे पहले उपस्थित शिक्षकों, दर्ज बच्चों और उपस्थित बच्चों की जानकारी ली। सहायक शिक्षिका श्रीमती पूनम कांबले के बिना लिखित आवेदन अनुपस्थित रहने पर उन्होंने उनका एक दिन का वेतन काटने के निर्देश दिए। गणवेश का सही विवरण नहीं देने पर प्रधान अध्यापिका श्रीमती भुवनेश्वरी पटेल की एक वेतन वृद्धि रोकने के निर्देश भी दिए। शाला की एक शिक्षिका का अटैचमेंट अन्य स्कूल में किए जाने पर भी उन्होंने अप्रसन्नता व्यक्त की।
कलेक्टर ने बच्चों से जहां विभिन्न शब्दों के पर्यायवाची और विलोम शब्दों की जानकारी ली। कुछ बच्चों द्वारा इसके सही उत्तर के साथ अंग्रेजी में भी अर्थ बताए जाने पर भी उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने सौर मण्डल संबंधी जानकारी, पानी के तीनों रूपों की जानकारी, देश, प्रदेश और दुर्ग जिले से जुड़ी महत्वूपर्ण जानकारी, नक्शा को पढऩे और समझने, अंगे्रजी पाठ को पढऩे और समझने, विभिन्न तत्वों के वैज्ञानिक नाम, परिमेय संख्या की जानकारी ली। कलेक्टर ने जहां होशियार बच्चों द्वारा दिए गए सही उत्तर पर ताली बजाकर शाबासी दी वहीं कमजोर बच्चों के उन्नयन के लिए वहां के शिक्षकों को निर्देशित किया कि वे स्कूल के ऐसे सभी बच्चों पर विशेष ध्यान दें, उन्हें अधिक समय देकर पढ़ायें तथा उनके स्तर को ऊंचा करें। कलेक्टर ने यह भी कहा कि वे स्कूूल में और भी बार आएंगी और स्कूल के स्तर को सुधारने के लिए विशेष प्रयास करेंगी। कलेक्टर ने कुछ बच्चों द्वारा इंग्लिश में अपना नाम नहीं लिख पाने या अंग्रेजी की पूरी वर्णमाला सही ढंग से नहीं लिख पाने पर वहां के शिक्षकों, प्रधान अध्यापक, संकुल समन्वय तथा विकासखंड शिक्षा अधिकारी पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि स्कूल के सभी शिक्षक समय पर स्कूल में आएं, बच्चों को बेहतर से बेहतर तरीके से पढ़ायें तथा कमजोर बच्चों को दूसरे अच्छे बच्चों के समकक्ष लाने के लिए पूरा प्रयास करें। उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों का सामान्य ज्ञान बढ़ाने के लिए जिले, प्रदेश और देश से संबंधी महत्वपूर्ण जानकारियों को बोर्ड के माध्यम से अंकित करायें तथा बच्चों को नियमित रूप से महत्वपूर्ण विषयों के सामान्य ज्ञान की जानकारी दें।
कलेक्टर ने समझाया स्वच्छता का महत्व
कलेक्टर श्रीमती आर. शंगीता ने हर कक्षा के विद्यार्थियों से प्रश्न किया कि उनके घरों में शौचालय है कि नहीं? वे शौच के लिए घर से बाहर तो नहीं जाते? उन्होंने घर में शौच नहीं करने वाले बच्चों से कहा कि स्वच्छता की दृष्टि से यह जरूरी है कि वे शौचालयों में ही शौच के लिए जाएं और जिनके घरों में शौचालय नहीं हैं वे अपने माता-पिता को शौचालय बनवाने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा अगर बच्चे शौच के लिए बाहर जाते हैं तो उनके बीमार पडऩे का खतरा अधिक है तथा ऐसी स्थिति में वे कमजोर हो जाएंगे और पढ़ाई में पीछे हो जाएंगे। कलेक्टर ने गांव के सरपंच और ग्राम सचिव से भी कहा कि वे शौचालय निर्माण के अधूरे कार्य शीघ्र पूरा करायें।
कलेक्टर ने मध्यान्ह भोजन को चखा
कलेक्टर ने पूरे स्कूल परिसर का मुआयना किया और मध्यान्ह भोजन योजना के अंतर्गत बच्चों के लिए बनाए गए खाना को चखकर देखा तथा उसके स्वाद व गुणवत्ता की जांच की। इस अवसर पर कलेक्टर ने वहां उपस्थित सरपंच किशन सिंह निषाद, उपसरपंच दानसिंह साहू, शाला विकास समिति के सदस्यगण, पालकगण और गांव के लोगों से भी मुलाकात की। नागरिकों ने बताया कि दो महिला समूहों के माध्यम से खाना बनाया जाता है। मीनू के अनुसार बच्चों को सब्जी, दाल तथा अन्य सामग्री प्रदाय की जाती है।

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