रायपुर। गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) यदि छत्तीसगढ़ में जैसा का तैसा लागू हो गया तो न केवल यहां के लघु एवं कुटीर उद्योगों की रीढ़ टूट जाएगी बल्कि छोटे बड़े व्यापारी भी परेशान होते रहेंगे। इसका दूसरा पहलू यह है कि राज्य की जनता पर एकाएक महंगाई का बोझ लद जाएगा। जीएसटी को लागू करने से पहले उसे राज्य के अनुरूप बनाने की मांग करते हुए मरवाही विधायक अमित जोगी ने कहा कि राज्य में फिलहाल 80 फीसदी उत्पादों पर 1 से लेकर 8 फीसदी तक टैक्स है। यही नहीं कृषि सहित 300 से ज्यादा उत्पादों पर कोई कर नहीं है। यदि जीएसटी अपने मौजूदा स्वरूप में लागू हो गया तो इन सभी पर टैक्स लग जाएगा।
श्री जोगी ने कहा कि मुसीबतें और भी हैं। जीएसटी के मौजूदा फार्मेट में महीने में 4 बार और साल में 40 बार रिटर्न जमा करने का नियम है। ऐसा नहीं करने पर आपराधिक प्रकरण दर्ज कर व्यापारी को जेल भेजने का प्रावधान है। छोटे व्यापारियों के लिये यह किसी मुसीबत से कम नहीं है।
श्री जोगी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में लगभग 20 हजार कुटीर, लघु और मध्यम उद्यम हैं ऐसे हैं जिनका सालाना डेढ़ करोड़ तक का टर्नओवर है और उन्हें एक्साइज ड्यूटी नहीं देनी पड़ती थी। जीएसटी लागू होने के बाद उन्हें भी कर देना पड़ेगा जिससे छोटे उद्योगों के उत्पाद का मूल्य ब्रांडेड उत्पादों के बराबर हो जाएगा और उनका व्यापार समाप्त हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि जीएसटी में मल्टी ऑडिट का प्रावधान गलत है। स्टेट अथवा सेंटर की ओर से ऑडिट हो गया तो दूसरा ऑडिट नहीं होना चाहिए।
साथ ही उन्होंने मांग की कि सेवा कर में छूट की सीमा 10 लाख की जगह 50 लाख तक की जानी चाहिए। जीएसटी में एमआरपी पर टैक्स लगेगा जबकि अभी कई सामान एमआरपी से आधे दाम पर बिकते हैं।
अमित जोगी ने उपरोक्त विसंगतियों और संशयों को दूर कर सरकार से मांग की है कि वह गुड्स एंड सर्विस टैक्स को गुड एंड सिंपल टैक्स बनाए।
करमुक्त छत्तीसगढ़
पूर्व मुख्यमंत्री एवं छजकां अध्यक्ष अजीत जोगी द्वारा छत्तीसगढ़ को कर-मुक्त बनाने की बात पर अमित जोगी ने कहा कि राज्य के विभिन्न करों का बोझ हटाकर छत्तीसगढ़ को कर-मुक्त बनाना वाकई संभव है। खनिज और वन संपदाओं से परिपूर्ण छत्तीसगढ़ को स्वर्णिम राज्य बनाया जा सकता है। चाहो तो सब कुछ संभव है।