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खुद को मरीज की जगह रखकर सोचे प्रशासन

Sep 22, 2016

प्रमुख सचिव और संचालक द्वारा जिला चिकित्सालय का आकस्मिक निरीक्षण
commissioner-hospitalदुर्ग। राज्य शासन के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव सुब्रत साहू और संचालक स्वास्थ्य सेवाएं आर. प्रसन्ना ने गुरुवार को आकस्मिक रूप से जिला चिकित्सालय पहुंचकर यहां के सभी वार्डों, लैब, ब्लड बैंक, ओपीडी, सोनोग्राफी और अन्य शाखाओं का अवलोकन किया। उन्होंने चिकित्सालय के वरिष्ठ अधिकारियों, चिकित्सकों, निर्माण एजेंसियों की बैठक लेकर चिकित्सालयों की व्यवस्थाओं में सुधार लाए जाने पर चर्चा भी की।
राज्य शासन के इन वरिष्ठ अधिकारियों ने करीब 5 घंटे तक अस्पताल परिसर में रह कर यहां के कार्यप्रणाली पर बारीकी से जानकारी ली। उन्होंने बाह्य रोग विभाग (ओपीडी), लैब, पंजीयन तथा दवाई वितरण केन्द्र के समीप मरीजों की बड़ी संख्या को देखते हुए इसके स्थानों को नये सिरे से रि-आर्गेनाइज करने के निर्देश दिए, जिससे मरीजों को चिकित्सालय पहुंचने पर सुविधाजनक तरीके से ओपीडी तथा इसकी विभिन्न शाखाओं में पहुंचने में मदद मिले, गर्भवती महिलाओं या अन्य मरीजों को चिकित्सकों तक पहुंचने में कम समय लगे तथा उन्हें लाईन लगाकर ज्यादा समय खड़ा नहीं होना पड़े। उन्होंने चिकित्सालय के अलग-अलग स्थानों के बजाए एक ही जगह में जांच की सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि हॉस्पीटल मैनेजमेंट को और बेहतर बनाने के जरूरत है जिससे चिकित्सालय के गेट या एम्बुलेंस रूकने के बिल्कुल पास ही मरीज को स्टेऊक्चर और व्हीलचेयर जैसी महत्वपूर्ण सुविधाएं मिले, प्रसुति वार्ड तथा अन्य स्थानों में नन्हें बच्चों को स्तनपान कराने के लिए प्रायवेसी मिल सके, मरीजों को जगह-जगह पर अस्पताल के विभिन्न स्थानों और वार्डों की जानकारी दर्शाने वाले चिन्ह और जानकारी का प्रदर्शन है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा प्रशासन तथा इससे जुड़े विभिन्न शासकीय विभाग अपने-आप को मरीज मानकर सोचे कि अगर वे यहां इमरजेंसी में मरीज बनकर आते हैं तो उन्हें किसी तरह की कठिनाईयां का सामना करना पड़ेगा और उन्हें किस प्रकार की सुविधाओं की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि कार्यों के दौरान चिकित्सालय और पूरे स्टाफ का मानवीय चेहरा नजर आना चाहिए।
इन अधिकारियों ने कहा कि जहां जिला चिकित्सालय के साफ-सफाई व्यवस्था में काफी सुधार आया है, वहीं अन्य स्थानों में सुधार किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने इसके लिए चिकित्सालय के कुछ स्थानों में पानी लिकेज या सिपेज की समस्या के समाधान के लिए ड्रेनेज सिस्टम को व्यवस्थित बनाने, फ्लोर, छत और बाथरूम आदि के ढाल सही रखने, पुराने या खराब हो चुके टायलेट को सुधरवाने या नये सिरे से फिर से बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने इस संबंध में पानी के नलों को भी अच्छी क्वालिटी का लगवाने के निर्देश दिए। उन्होंने ऑडियोमैट्री शाखा में साउण्ड पु्रफ सिस्टम तथा वातानुकुलित सिस्टम को और बेहतर बनाने, डायलिसिस शाखा में वाटर सप्लाई जैसी दिक्कतों को दूर करने चिकित्सालय के कुछ स्थानों में एकत्रित तथा अनुपयोगी पड़े उपकरणों या संसाधनों को सुधरवा कर उपयोग में लाने या निविदा कर नीलामी करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यहां के दो डायलिसिस यूनिट में प्रति दिन कम से कम चार लोगों की डायलिसिस की जानी चाहिए। उन्होंने सभी वार्डों में मेडिकल नार्म के अनुसार अलग-अलग कलर के डस्टबीन रखने के निर्देश दिए हैं और साथ ही मरीजों को इस संबंध में जागरूक करने के लिए कलर कोड संबंधी विवरण भी प्रदर्शित करने को कहा। उन्होंने वार्डों या आईसीयू के दरवाजों के बंद नहीं हो पाने होने या बाथरूमों के वेंटीलेटर के छोटे होने जैसी बारीकियों के प्रति भी अधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया और उन्हें सही करवाने के निर्देश दिए। उन्होंने नवजात शिशु गहन चिकित्सा ईकाई और महिला चिकित्सा ईकाई में अति गंभीर और गंभीर नवजात शिशुओं की चिकित्सा को तथा महिला वार्ड में मरीजों को मिलने वाले सुविधाओं की जानकारी ली। उन्होंने नर्स की प्रशिक्षण कर रही छात्राओं से बीपी मशीन से मरीजों का ब्लड प्रेशर नपवाकर भी देखा कि वे अपना कार्य सही ढंग से सीख पा रही है कि नहीं। उन्होंने गर्भवती महिलाओं, प्रसुता महिलाओं और कुपोषित बच्चों की महिलाओं के काउंसिल के लिए और अधिक कांउसलर नियुक्त करने के निर्देश दिए।
बैठक में अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी के.के. अग्रवाल, सिविल सर्जन डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव, सिविल सर्जन डॉ. रेखा गुप्ता सहित अन्य चिकित्सकगण तथा संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे। सिविल सर्जन ने बताया कि चिकित्सालय अब बढ़कर पांच सौ बिस्तरों का हो गया है, यहां प्रतिदिन करीब हजार मरीज ओपीडी में आते हैं। बैठक में सीजीएमसी के अधिकारियों ने बताया कि चिकित्सालय में विभिन्न सुधार कार्यों और निर्माण कार्यों के लिए एक करोड़ 20 लाख रूपए की स्वीकृत मिली है। इसके टेण्डर का कार्य किया जा रहा है। प्रमुख सचिव ने इस बात पर अप्रसन्नता व्यक्त की कि यह अनेक शाखाओं के बाबू एसी कक्ष में बैठ रहे लेकिन महत्वपूर्ण शाखाओं या वरिष्ठ चिकित्सकों के कक्ष में एसी बैठते हैं। उन्होंने एसी की व्यवस्थाओं को सही करवाने के निर्देश दिए। प्रमुख सचिव ने कहा कि चिकित्सालय में मरीजों को जरूरी सहायक उपकरण या सामग्री दिए जाने के लिए पैसे की कमी नहीं है, जरूरत पडऩे पर उन्हें अतिरिक्त बजट की राशि प्रदाय की जाएगी। उन्होंने चिकित्सालय के दवाई दुकान में अधिक से अधिक संख्या में जेनेरिक दवाईयां उपलब्ध कराने तथा चिकित्सकों द्वारा केवल जेनेरिक दवाईयां लिखे जाने के निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि होमगार्ड व चिकित्सा विभाग के बीच एमओयू हुआ जिसके अंतर्गत चिकित्सालयों को होमगार्ड के माध्यम से सुरक्षा की व्यवस्था मिलनी प्रारंभ हो गई है। चिकित्सा प्रशासन इनका समुचित उपयोग सुनिश्चित करें। प्रमुख सचिव ने सामुदायिक चिकित्साय सुपेला में भी पेास्ट मार्टम की व्यवस्था किए जाने का सैद्धांतिक निर्णय लिया। इन अधिकारियों ने चिकित्सकों और स्टाफ की समस्या को भी समझा और उन पर समुचित कार्यवाही किए जाने का आश्वासन दिया। उन्होंने लोक निर्माण विभाग और इसके लिए ईएमएम को भी चिकित्सालय की सुविधाओं को सुधारने के निर्देश दिए।

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