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8 दिन वेंटीलेटर पर रहकर जी उठा मासूम

Dec 4, 2016
जेएलएन अस्पताल एवं अनुसंधान केन्द्र की बड़ी सफलता

JLN-hospital-&-research-cenभिलाई। वेंटीलेटर पर मरीज को कितने दिन रखा जा सकता है इसे लेकर जले ही लोगों में भ्रांति हो किन्तु सेक्टर-9 अस्पताल के चिकित्सकों ने मासूम आरिब को 8 दिन तक वेंटीलेटर पर रखकर आखिर उसे मौत के मुंह से खींच लिया।आरिब का 28 अक्टूबर को अपहरण हो गया था। अंदेशा है कि पड़ोसी दंपति ने बलि देने के लिए उसका अपहरण किया था। उसे गंभीर रूप से घायल कर टायलेट में छिपा दिया गया था। छह घंटे की सघन तलाशी अभियान एवं पूछताछ के बाद पुलिस ने मोहल्ला वासियों के सहयोग से उसे बरामद किया था।
छह वर्षीय आरिब बेहद खस्ता हालत में मिला था। उसके सिर पर गंभीर जख्म थे और वह लहूलुहान था। उसे तत्काल बीएसपी के जवाहरलाल नेहरु चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र पहुंचाया गया।
आरिब का एक पैर और एक हाथ सुन्न पड़ा था। तत्काल सीटी स्कैन किया गया जिससे सिर के गंभीर जख्मों का पता चला। आरिब को वेंटीलेटर पर डाल दिया गया।
न्यूरो सर्जरी टीम के डॉ सुबोध हिरेन, डॉ कौशलेन्द्र ठाकुर एवं डॉ आर एन बिसोई के साथ डॉ प्राची मेने, डॉ ए के गर्ग, डॉ ए जायसवाल, डॉ चित्रा, डॉ अर्पिता, डॉ मालिनी, डॉ साना एवं डॉ विभू ने बच्चे का इलाज प्रारंभ किया।
आरिब के पिता शमसुल इस्लाम खान एवं माता श्रीमती निगार खान बताते हैं कि बीएसपी अस्पताल के चिकित्सकों ने एक माह के अथक प्रयास आरिब को नई जिन्दगी दी है। अब वह चलने लगा, फिरने और बोलने लगा है। इसके अतिरिक्त सी-2 वार्ड के कार्मिक व नर्सिंग स्टॉफ ने हमारे बच्चे को बचाने के लिए जो अमूल्य सहयोग किया है उसे हम कभी नहीं भुला सकतेे।
उत्कृष्ट इलाज ही हमारी पहचान
डॉ कौशलेन्द्र ठाकुर ने बताया कि आरिब के सिर व चेहरे पर गहरे जख्म थे। मरीज का दाहिना हाथ-पैर काम नहीं कर रहा था। तत्काल सीटी स्कैन किया गया जिसमें यह ज्ञात हुआ कि बच्चे के सिर की हड्डी कई जगह पर टूट चुकी थी और मस्तिष्क क्षतिग्रस्त हो चुका था। हमने वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ हिरेन के सहयोग से इलाज प्रारंभ किया और आरिब को फिर से चलने-फिरने व बोलने के काबिल बना दिया।
डॉ रघुनंदन बिसोई ने बताया कि मरीज के क्रिटिकल कंडीशन को देखते हुए उसे तत्काल वेंटीलेटर पर रखा गया। मरीज बेहोश था उसे साँस लेने में तकलीफ हो रही थी। 8 दिन तक वेंटीलेटर में रखा गया। इस दौरान न्यूरो सर्जरी की टीम के साथ ईएनटी, ऑर्थोपेडिक व पीडियॉट्रिक विभागों के डॉक्टरों ने भी आरिब के इलाज में सहयोग किया। अस्पताल के निदेशक डॉ एस के इस्सर एवं डॉ सुजाता हिरेन के मार्गदर्शन में मरीज का इलाज एक टीम के रूप में किया गया जिससे उसके हालत में निरंतर सुधार होता गया।
दवाओं और दुआओं का असर
बच्चे के माता-पिता जहाँ अस्पताल के चिकित्सकों व स्टाफ के साथ-साथ संयंत्र के सीईओ से प्राप्त सहयोग की तारीफ करते नहीं थक रहे। श्री शमसुल संयंत्र के सीईओ श्री एम रवि का विशेष रूप से आभार व्यक्त करते हुए बताते हैं कि सीईओ साहब ने हमें दिलासा देने के साथ ही हर प्रकार का सहयोग प्रदान किया है, जिसे हम आजीवन नहीं भूल सकते। वे स्वयं चलकर बच्चे को देखने आये और हमें हर प्रकार का सहयोग प्रदान किया है। यह दवाओं और दुआओं का असर है कि आज मेरे बच्चे का पुर्नजन्म हो सका।

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