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लेटेस्ट तकनीकों से लैस है BSR Cancer Hospital

Feb 4, 2017

10 साल में बहुत बदल चुका कैंसर से लडऩे का तरीका
bsr-cancer-hospitalभिलाई। कैंसर के खिलाफ लडऩे के तरीके में पिछले 5-10 सालों में काफी बदलाव आ चुका है। अब न केवल हम कैंसर को बेहतर समझते हैं बल्कि सर्जरी की नई तकनीक, नई दवाइयां और सूक्ष्म-अतिसूक्ष्म विकीरण तकनीक से मरीज का बेहतर इलाज कर पा रहे हैं। इससे मरीजों की जीवन प्रत्याशा में भी कई गुना की वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि बीएसआर कैंसर हॉस्पिटल में कैंसर की पहचान कर उसे चिन्हित करने के सभी उपकरण मौजूद हैं। 3डी सीआरटी, आईएमआरटी, आईजीआरटी जैसी तकनीकों के साथ ही दस गुना अधिक तीव्रता से रेडिएशन देने में सक्षम रैपिडआर्क लीनियर एक्सीलरेटर जैसी मशीन है। इससे न केवल स्वस्थ कोशिकाओं को बचाना संभव हो जाता है बल्कि कम समय में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जा सकता है।उक्त बातें बीएसआर कैंसर अस्पताल के वरिष्ठ कैंसर विशेेषज्ञ डॉ अनंत एम केकरे ने कहीं। तीन दशकों से भी अधिक समय से कैंसर रोगियों की सेवा कर रहे डॉ केकरे ने बताया कि पहले हमारे पास कैंसर की जांच के लिए भी पर्याप्त उपकरण नहीं थे। बहुत ज्यादा दवाइयां भी नहीं थीं। रेडिएशन थेरेपी के लिए हम कोबाल्ट किरणों पर आश्रित थे। पर अब ऐसा नहीं है।

उन्होंने बताया कि अब मालीक्यूल (अणु) के स्तर पर कैंसर की पहचान कर उसी स्तर पर उसे समाप्त करने के लिए हमारे पास दवाइयां हैं। यही कारण है कि अब मरीजों को लंबी जिन्दगी मिल रही है और उनके जीवन की गुणवत्ता भी बेहतर हो रही है। डॉ केकरे ने कहा कि उन्होंने कई मरीजों को इलाज के बाद 10-12 साल तक अच्छे से जीवन यापन करते देखा है।
डॉ केकरे ने बताया कि ल्यूकेमिया और स्तन कैंसर के कुछ प्रकारों में नई औषधियों ने इसका पूर्ण इलाज संभव कर दिया है। गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के इलाज में भी हम काफी प्रगति कर चुके हैं।
बीएसआर कैंसर के आंको सर्जन डॉ नितिन टी बोमनवार ने बताया कि अब कैंसर के पूरे फैलाव का मानचित्र तैयार करने की तकनीक हमारे पास है। अत्याधुनिक शल्य चिकित्सा उपकरणों की मदद से हम कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं और रोगी अंगों को आसानी से हटा सकते हैं। निश्चेतना विज्ञान की प्रगति ने अब ऐसे मामलों में भी सर्जरी संभव कर दिया है जिसमें पहले हम हस्तक्षेप नहीं कर पाते थे।
रेडिएशन आंकोलॉजिस्ट डॉ बिपिन खराड़े ने बताया कि आईजीआरटी (इमेज गाइडेड रेडिएशन थेरेपी) और आईएमआरटी (इंटेन्सिटी माड्यूलेटेड रेडिएशन थेरेपी) तकनीक से सटीक सिंकाई संभव हुई है। इससे कम समय में सही जगह पर तीव्र विकीरण दिया जाना संभव हुआ है।
सतर्क रहना होगा
डॉ केकरे ने बताया कि कैंसर के कुछ प्रकार जहां अपने लक्षण प्रकट करते हैं वहीं कुछ का पता स्क्रीनिंग द्वारा लगाया जा सकता है। कैंसर के कुछ प्रकारों को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। वहीं कैंसर के कुछ प्रकारों का इलाज द्वारा शमन किया जा सकता है। यह रोग के प्रकार, अवस्था और स्थिति पर निर्भर करता है। ठीक न होने वाले छाले, समझ में नहीं आने वाला रक्तस्राव, गांठें, रंग बदलने वाला या बढऩे वाला मस्सा, निगलने में दिक्कतें कैंसर हो सकते हैं। लक्षण दिखते ही डाक्टर को दिखाकर निश्चिंत हो जाना चाहिए। 40 की उम्र के बाद महिलाओं को पैप स्मीयर टेस्ट जरूर कराना चाहिए।  गर्भाशय ग्रीवा कैंसर से बचने का टीका आ गया है जिसे 9 से 26 साल की उम्र के बीच लगाया जा सकता है।
आंकड़ों में कैंसर
एनआईसीपीआर के मुताबिक भारत में लगभग 25 लाख लोग कैंसर से पीडि़त हैं। प्रतिवर्ष कैंसर के 7 लाख नए मरीज सामने आते हैं।  कैंसर प्रतिवर्ष 5,56,400 मौतों का कारण बनता है जिसमें से 3,95,400 मरीजों की उम्र 30 – 69 के बीच होती है। इनमें से 2,00,100 पुरुष होते हैं। पुरुषों में मुख एवं फेंफड़ों के कैंसर और महिलाओं में स्तन कैंसर से होने वाली मृत्यु सभी कैंसर संबंधित मौंतो का लगभग 50 प्रतिशत है।
बदल रहा है पैटर्न
डॉ केकरे ने बताया कि हाल के वर्षों में विभिन्न प्रकार के कैंसर के रोगियों के अनुपात में बदलाव आया है। हेड एंड नेक के मामलों में जहां कमी आ रही है वहीं ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में इजाफा हो रहा है। डॉ केकरे ने कहा कि तम्बाकू, तम्बाकू उत्पाद, शराब का अत्यधिक सेवन, फास्टफूड की दीवानगी आपके बीमार पडऩे और कैंसरग्रस्त होने की संभावना को कई गुना बढ़ा देते हैं। सादा, रेशेदार भोजन, फल एवं सब्जियों का सेवन कर कैंसर की संभावना को काफी कम कर सकते हैं।
मैं कर सकता हूँ, हम कर सकते हैं
2016 से 2018 को कैंसर के खिलाफ व्यक्तिगत और सामूहिक लड़ाई का शंखनाद है। इसका ध्येय वाक्य है मैं कर सकता हूं, हम कर सकते हैं। इसमें वे सभी उपाय शामिल हैं जिसे हम व्यक्तिगत तौर पर और सामूहिक तौर पर अपना सकते हैं।

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