भिलाई। जिस तरह से अखिल भारतीय वैश्य समाज के 161 वें घटक एकजुट होकर अपना परिचय दे रहे हैं उसी तरह रौनियार समाज भिलाई-दुर्ग भी अपनी एकजुटता का परिचय दें, संगठित हों। जब स्वजातीय बंधु आपस में मिलते हैं तो पूरे समाज का दिल मिलता है। समाज न केवल विवाह के लिए, अपितु एक दूसरे को समझने तथा पारस्परिक सामंजस्यता स्थापित करने के लिए होता है। उक्ताशय के विचार मैत्री बाग में आयोजित रौनियार वैश्य समाज, भिलाई-दुर्ग के वार्षिक स्नेह सम्मेलन कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एनके गुप्ता ने व्यक्त किया।समाज के अध्यक्ष राजकुमार प्रसाद ने कहा समाज एक दूसरे के सुख-दु:ख का साथी होता हैं। आर्थिक सहयोग से संगठन मजबूत होता है। कोषाध्यक्ष अशोक कुमार गुप्ता ने कहा कि हम एक दूसरे से मिलें, हममें सहयोग की भावना हों। हम सभी की यहीं सोच होनी चाहिए तभी समाज की उत्तरोत्तर उन्नति संभव होगी।
राजकुमार गुप्ता ने कहा आज हमें संगठन को लेकर चलने की जरूरत है। वल्र्ड वैश्य फाउंडेशन के कोषाध्यक्ष अशोक वैश्य ने कहा जब हम समाज का सहयोग करेंगे तभी संगठन सफल व सार्थक होगा। संगठन में भाईचारा, सामंजस्य, आर्थिक सहयोग व सामाजिक भवन होगा तो समाज की एक अलग पहचान होगी। संगठन में राजकुमार प्रसाद अध्यक्ष, महामंत्री रमेश गुप्ता, कोषाध्यक्ष अशोक कुमार गुप्ता व सुपेला, केम्प दो व नेहरू नगर के संगठन मंत्री क्रमश: वीरेन्द्र गुप्ता, जगशिव प्रसाद व एनके गुप्ता को मनोनित किया गया।
इस मौके पर कुर्सी दौड़ का आयोजन किया गया। पुरूष वर्ग में रविन्द्र साहू प्रथम, शंभू प्रसाद द्वितीय, एके गुप्ता तुतीय तथा महिला वर्ग में नयनतारा गुप्ता प्रथम, रीमा गुप्ता द्वितीय, ललिता गुप्ता तृतीय रहीं वहीं बच्चों में कु खुशी गुप्ता प्रथम, मेहुल गुप्ता द्वितीय व धीरज कुमार गुप्ता तृतीय विजेता रहीं। विजेताओं को पुरस्कृत कर हौंसला अफजाई की गई। समाज के वरिष्ठ सदस्यों को भी सम्मानित किया गया।
आभार प्रदर्शन एनके गुप्ता ने किया। इस अवसर पर राजकुमार प्रसाद, रमेश गुप्ता, गुंजेश्वर प्रसाद, विनोद गुप्ता, रामइकबाल प्रसाद, चमरू साहू, सुधीर वैश्य, आरपी गुप्ता, धर्मपाल, वीरेन्द्र गुप्ता, भरत शाह, वशिष्ठ प्रसाद, सियाराम प्रसाद, रामबाबू, केएन प्रसाद, सियाराम प्रसाद, शिव कुमार गुप्ता, प्रवीण कुमार गुप्ता, केपी गुप्ता, कविता गुप्ता, प्रमिला गुप्ता, प्रिंसी गुप्ता, गायत्री गुप्ता, पिंकी गुप्ता सहित समाज के काफी लोग उपस्थित थे।