गले के ऑपरेशन से पेट दर्द हुआ दूर
भिलाई। BSP JLN Hospital and Research Centre के चिकित्सकों के प्रयास ने एक गरीब व लाचार मरीज श्रीमती देवी बाई के जीवन में रोशनी बनकर आया। दो वर्षों से पेट दर्द से हलाकान इस उम्रदराज महिला मरीज, कई प्राइवेट अस्पतालों के चक्कर लगा चुकी थीं, लेकिन उसे इस दर्द से आराम नहीं मिला और न ही ये अस्पताल उसके पेट दर्द का कारण पकड़ पाये। दर-दर भटकने के बाद उसने बीएसपी के मुख्य चिकित्सालय का रूख किया। श्रीमती देवी बाई बताती हैं कि वह कभी सोच भी नहीं सकती कि उसके पेट दर्द का संबंध गर्दन की बीमारी से हो सकता है। मेरी गर्दन की सर्जरी कर, मेरे पेट दर्द को ठीक कर दिया गया, यह मेरे लिये किसी चमत्कार से कम नहीं था। बीएसपी के डाक्टरों ने मरीज के दुर्लभतम बीमारी पैराथायरॉयड एडिनोमा को पकडऩे में जहाँ सफलता पाई, वहीं इसकी सफलतम सर्जरी भी की गई। इस प्रकार का यह पहला ऑपरेशन है, जिसे बीएसपी अस्पताल के सर्जरी विभाग के कुशल व विशेषज्ञ सर्जनों ने बखूबी अंजाम दिया है। इस ऑपरेशन को संयंत्र चिकित्सालय के विशेषज्ञ सर्जन व संयुक्त निदेशक (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं) डॉ जोगेश चन्द्र मढुआल एवं डॉ सुमंत मिश्रा तथा विभाग के एडीएमओ डॉ मनीष देवांगन की टीम ने सफलतापूर्वक पूर्ण किया।
डॉ जोगेश चन्द्र मढुआल बताते हैं कि बालोद जिले की श्रीमती देवी बाई बीएसपी के सेक्टर-9 अस्पताल में भर्ती हुईं। पेट दर्द का आरंभिक कारण अग्नाशय में सूजन का होना पाया गया। इसके अलावा उसके पित्त की थैली एवं किडनी में पथरी पाई गई। सूजन का कारण जानने के लिए जाँच-पड़ताल करने पर डाक्टरों की टीम ने पाया कि उसके गले के पास एक गठान है जिसे पैराथायरॉयड एडिनोमा कहा जाता है। इस गठान को शल्यक्रिया द्वारा निकाला गया। अब यह मरीज पूरी तरह स्वस्थ है।
इस ऑपरेशन टीम के एक और महत्वपूर्ण सर्जन डॉ सुमंत मिश्रा इस बीमारी की जटिलता के संबंध में जानकारी देते हुए कहते हैं कि यह बीमारी अत्यंत ही दुर्लभतम श्रेणी में गिनी जाती है। यह लाखों में किसी एक मरीज को होता है। सामान्यत: यह बीमारी आसानी से पकड़ में नहीं आती एवं इसे पकडऩे के लिए उन्नत जाँच विधि जैसे रेडियो न्यूक्लियोटाइड स्कैन बेहद जरूरी है। इसका इलाज सिर्फ सर्जरी है। सर्जरी के पश्चात् मरीज़ स्वस्थ हो जाता है।
इस टीम के युवा सर्जन डॉ मनीष देवांगन बीएसपी अस्पताल की खासियत बताते हुए जिक्र करते हैं कि यह बीमारी सेक्टर-9 अस्पताल में इसलिए पकड़ में आई क्योंकि यहाँ पर विशेष जाँच-पड़ताल की सारी सुविधाएँ एक ही जगह मौजूद हंै जैसे कि न्यूक्लियर मेडिसिन, 4-डी सीटी स्कैन, हाई डेफिनिशन अल्ट्रॉसाउंड, बॉयोकेमिकल स्टडी, फ्रोजन सेक्शन एवं हिस्टो-पैथोलॉजिकल परीक्षण।
यह ऑपरेशन डॉ जोगेश चन्द्र मढुआल, डॉ सुमंत मिश्रा एवं डॉ मनीष देवांगन की टीम ने किया। निश्चेतना डॉ कामरा, डॉ विनीता द्विवेदी की टीम द्वारा किया गया। इस बीमारी के डायग्नोसिस में रेडिओलॉजिस्ट डॉ प्रतिभा इस्सर, डॉ राजीव पाल, डॉ धीरज गुप्ता, हिस्टो-पैथोलॉजिस्ट डॉ रविन्द्रनाथ तथा अन्य डाक्टर एवं न्यूक्लियर मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ डी सी प्रसाद ने विशेष योगदान दिया। मरीज के सफलतापूर्वक इलाज के लिए जेएलएन चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र के निदेशक प्रभारी (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएँ) डॉ एस के इस्सर का विशेष मार्गदर्शन एवं उत्साहवर्धन उल्लेखनीय रहा।
बीएसपी के जवाहरलाल नेहरु चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र के शल्यक्रिया विभाग द्वारा एक असाधारण बीमारी का सफलतापूर्वक ऑपरेशन कर बीएसपी के चिकित्सा बिरादरी के लिए एक और उपलब्धि हासिल की।