वरना प्रभावित हो सकती है UGC Grant
दुर्ग। जिले के समस्त शासकीय, निजी एवं शासकीय अनुदान प्राप्त महाविद्यालय NAAC Evaluation को प्राथमिकता देवें। बिना नैक मूल्यांकन के भविष्य में यूजीसी द्वारा मिलने वाली अनुदान राशि प्रभावित हो सकती है। ये उद्गार शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग के प्राचार्य डॉ. एस.के. राजपूत ने महाविद्यालय के रवीन्द्रनाथ टैगोर हॉल में व्यक्त किये। डॉ. राजपूत उच्चशिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशानुसार आयोजित दुर्ग जिला क्वालिटी सर्किल की बैठक में उपस्थित दुर्ग जिले के महाविद्यालयों के प्राचार्य, आईक्यूएसी संयोजक तथा नैक स्टीयरिंग कमेटी के संयोजकों को संबोधित कर रहे थे। नैक मूल्यांकन की आवश्यकता एवं उसकी महत्ता पर प्रकाश डालते हुए डॉ. राजपूत ने कहा कि उनका महाविद्यालय दुर्ग जिले के महाविद्यालयों को नैक मूल्यांकन में उच्च ग्रेड प्राप्त करने हेतु हर संभव मदद करेगा। डॉ. राजपूत ने आईक्यूएसी की गतिविधियों एवं विद्यार्थियों के हित में विस्तार गतिविधियां आयोजित करने पर बल दिया।
इससे पूर्व बैठक का संचालन करते हुए आईक्यूएसी सदस्य डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव ने दुर्ग जिला क्वालिटी सर्किल के गठन की आवश्यकता एवं अगामी वर्षों में दुर्ग जिले के महाविद्यालयों में होने वाले नैक मूल्यांकन की विस्तृत जानकारी दी। डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव ने उच्चशिक्षा विभाग की मंशा के अनुरूप प्रतिवर्ष महाविद्यालयों में होने वाले अकादमिक ऑडिट कराये जाने की पध्दति को पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से समझाया। बैठक में उपस्थित प्राचार्यों एवं आईक्यूएसी समन्वयकों ने अकादमिक ऑडिट के संबंध में अनेक प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासा का समाधान किया। प्रश्न पूछने वालो में शांदिपनी अकादमी की डॉ. निखत खान, डॉ. वाई. आर. कटरे, डॉ. पूजा मल्होत्रा, डॉ. अमृता कस्तूरे, डॉ. संदीप जसवंत, डॉ. आनंद विश्वकर्मा आदि शामिल थे।
तामस्कर महाविद्यालय आईक्यूएसी के संयोजक एवं नैक स्टीयरिंग कमेटी की प्रमुख डॉ. जगजीत कौर सलूजा ने उपस्थित प्रतिभागी प्राचार्यो एवं प्राध्यापकों को जानकारी दी कि नैक द्वारा तामस्कर महाविद्यालय को ए प्लस ग्रेड (3.58 सीजीपीए) प्रदान किया गया है। इस संबंध में महाविद्यालय द्वारा नैक मूल्यांकन के दौरान की गयी तैयारियों एवं सावधानी रखे जाने वाले बिन्दुओं का भी डॉ. जगजीत कौर सलूजा ने उल्लेख किया। नैक मूल्यांकन हेतु आवश्यक सेल्फ स्टडी रिपोर्ट को तैयार किए जाने संबंधी विभिन्न बिन्दुओं की विस्तृत जानकारी भी डॉ. सलूजा ने दी।
महाविद्यालय के यूजीसी सेल के संयोजक डॉ. अनुपमा अस्थाना ने अपनी प्रस्तुति में नैक मूल्यांकन के दौरान विभिन्न विभागों द्वारा की जाने वाली तैयारियों का विस्तृत विवरण दिया। डॉ. अस्थाना ने विगत 5 वर्षों में विभागों के परीक्षा परिणाम, शोध कार्य, शोध पत्र प्रकाशन, मेजर एवं माइनर रिसर्च प्रोजेक्ट, विस्तार गतिविधियां, खेेलकूद, लाइब्रेरी, एन.एस.एस., एन.सी.सी एवं यूथ रेडक्रास की गतिविधियों का संकलन कर उन्हें उचित ढंग से प्रस्तुतिकरण पर बल दिया। कार्यालय एवं लेखा शाखा तथा परीक्षा प्रकोष्ठ एवं यूजीसी, रूसा, आईक्यूएसी से संबंधित दस्तावेज का उचित रख रखाव भी नैक मूल्यांकन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। यह जानकारी डॉ. अनुपमा अस्थाना ने दी। बैठक के अंत में धन्यवाद ज्ञापन आईक्यूएसी सदस्य डॉ. पद्मावती ने किया।
बैठक में प्रमुख रूप से उपस्थित महाविद्यालयों के प्राचार्यो में डॉ. आनंद विश्वकर्मा, डॉ. एल.आर.वर्मा, डॉ. कल्पना शर्मा, डॉ. राधा पाण्डेय, डॉ. वाई. आर.कटरे, डॉ. रॉयमन, डॉ. देवहुति तिवारी, डॉ. दुर्गा प्रसाद राव, डॉ. रीना मजूमदार तथा आईक्यूएसी एवं नैक समन्वयक डॉ. अमृता कस्तूरे, डॉ. प्रज्ञा कुलकर्णी, डॉ. तरलोचन कौर संधू, डॉ. अमृता सहगल, डॉ. मीनाक्षी अग्रवाल, डॉ. रितेश अग्रवाल, डॉ. शशि कश्यप, डॉ. अम्बरीश त्रिपाठी, डॉ. पूजा मल्होत्रा, डॉ. तापस मुखर्जी, डॉ. अलीम खान, डॉ. रीता गुप्ता, डॉ. शुभा शर्मा, डॉ. पूर्णिमा सेठ, डॉ. सुनीता झा, डॉ. रंजना शर्मा, डॉ. संदीप जसवंत आदि उपस्थित थे।