बिलासपुर। छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज ने मानवता का उदाहरण प्रस्तुत किया है। गंभीर बीमारी से जूझ रहे एक बुजुर्ग से जब घर वालों ने मुंह फेर लिया तो सिम्स ने उसे गोद ले लिया। 13 महीने तक उसका नि:शुल्क उपचार किया। जब मरीज की मृत्यु हो गई तो अस्पताल प्रबंधन की तरफ से ही उसके कफन दफन का भी इंतजाम किया गया। कोरबा के बाकीमोंगरा निवासी मेघनाथ पिता रामलाल 65 साल को 2016 नवंबर में सिम्स में भर्ती किया गया था। उसके साथ परिजन भी थे। हालत गंभीर होने के कारण उसके बचने की बहुत कम उम्मीद थी। मेघनाथ की किडनी खराब होने के साथ दूसरी बीमारियों भी थीं। लगभग 15 दिन बाद परिजन उसे अकेला छोड़ कर चले गए। तब सिम्स प्रबंधन ने मानवता दिखाते हुए उसे आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कर इलाज जारी रखा गया। लगातार 13 महीने तक उसका उपचार चला। 18 दिसंबर को उसने दम तोड़ दिया। 13 महीनों तक उसकी सुध लेने कोई परिजन नहीं पहुंचा था। इसलिए सिम्स प्रबंधन जानता था कि शव को लेने भी कोई नहीं आएगा। इसलिए पूरे विधि विधान से उसका अंतिम संस्कार कराया गया।
हमने पूरी कोशिश की
मरीज को परिजन छोड़कर चले गए थे। इसके बाद भी डॉक्टरों ने उसे बचाने का पूरा प्रयास किया। 13 महीने बाद उसकी मौत हो गई। मानवता के नाते हमने उसका अंतिम संस्कार भी कराया।
– डॉ. रमणेश मूर्ति, एमएस, सिम्स