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मस्तूरी में सरपंच पति युग का अंत, महिलाओं ने सीख लिया पति को ना कहना

Dec 21, 2017

बिलासपुर। बिलासपुर में सरपंच पति युग का अंत हो गया है। यहां की महिलाओं ने पारिवारिक सुख शांति को दांव पर लगाते हुए पति को ना कहना सीख लिया है। इसके साथ ही महात्मा गांधी का वह सपना भी सच हो गया है, जो उन्होंने 80 साल पहले देखा था। उन्होंने कहा था, मेरा दृढ़ मत है कि इस देश की सही शिक्षा यह होगी कि स्त्री को अपने पति से भी 'न कहने की कला सिखाई जाए। उसे यह बताया जाए कि अपने पति की कठपुतली या उसके हाथों में गुडिय़ा बनकर रहना उसके कर्तव्य का अंग नहीं है। उसके अपने कर्तव्य और अधिकार हैं..।बिलासपुर। बिलासपुर में सरपंच पति युग का अंत हो गया है। यहां की महिलाओं ने पारिवारिक सुख शांति को दांव पर लगाते हुए पति को ना कहना सीख लिया है। इसके साथ ही महात्मा गांधी का वह सपना भी सच हो गया है, जो उन्होंने 80 साल पहले देखा था। उन्होंने कहा था, मेरा दृढ़ मत है कि इस देश की सही शिक्षा यह होगी कि स्त्री को अपने पति से भी ‘न कहने की कला सिखाई जाए। उसे यह बताया जाए कि अपने पति की कठपुतली या उसके हाथों में गुडिय़ा बनकर रहना उसके कर्तव्य का अंग नहीं है। उसके अपने कर्तव्य और अधिकार हैं..।यहां सरपंच पति संस्कृति पर कड़ा प्रहार हुआ है। पंचायत के कामकाज में पतियों के हस्तक्षेप से परेशान महिला सरपंचों ने एकजुट हो बगावत छेड़ दी। यह आसान नहीं था। यह अपने ही घर में आग लगाने जैसा था। पति ने तो मुंह फुलाया ही, सास-ससुर और पूरे कुनबे ने विरोध किया। सहा, लेकिन कर दिखाया। पति को ‘न कह दिया।
मस्तूरी ब्लॉक की 50 महिला सरपंच अब घूंघट से बाहर आकर अपनी जिम्मेदारी संभाल रही हैं। अपने दम पर पंचायतों का संचालन कर रही हैं। मस्तूरी ब्लॉक में 125 ग्राम पंचायतों में से 50 में महिला सरपंच निर्वाचित हैं। अमूमन सभी पंचायतों में तीन से चार महिला पंच भी हैं।
आरक्षण नियमों के चलते पति व परिजनों ने अपने प्रभाव से चुनाव जितवाकर उन्हें ग्राम पंचायत में प्रतिष्ठित तो कर दिया था, लेकिन मनमुताबिक काम करने की आजादी नहीं दी थी। पंचायत की बैठक में पति के साथ जाना और उनके द्वारा बताए विषयों को ही एजेंडे में शामिल कराना, यही इनका काम था। पति सरपंच पति कहलाता था। जनपद व जिला पंचायत के अफसर भी उन्हीं को भाव देते थे। ग्रामीणों का ताना भी सुनना पड़ता था। महिला सरपंच इससे तंग आ गईं। अंतत: सभी 50 महिला सरपंच एकजुट हो गईं। नारी शक्ति पंचायत संघ के रूप में एक संगठन भी बना लिया। अपने अधिकारों को पतियों से वापस लेने के लिए जमकर संघर्ष किया और अंतत: इसमें सफल रहीं।
इस समय देश के 14 राज्यों में शहरी निकायों में और 17 राज्यों में ग्राम पंचायतों में महिलाओं के लिए 50 फीसद आरक्षण लागू है जबकि शेष राज्यों में 33 फीसद की व्यवस्था है। लेकिन सरपंच पति संस्कृति के चलते नारी सशक्तिकरण का असल मकसद इससे पूरा नहीं हो पाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सरपंच पति संस्कृति के खात्मे का आह्वान कर चुके हैं।

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