भिलाई। बड़े शौक से मंगवाई गई सिटी बसों में से 3 करोड़ रुपए की बसें डिपो में खड़े खड़े भंगार में बदल गई। जर्जर भवन में रह रहे डिपो कर्मचारी यहां जान हथेली पर रखकर काम कर रहे हैं। पर बारिश से पहले वे भी किराए के मकान में शिफ्ट हो जाएंगे। उधर डिपो के दो-दो भवन उद्घाटन का इंतजार कर रहे हैं। डिपो में कार्यरत तोषण तिवारी एवं अबरार अहमद ने बताया कि यहां 12 बसें खड़ी हैं। एक बस पूरी तरह जल कर बर्बाद हो चुकी है। शेष बसों के भी पहिए और सस्पेंशन नष्ट हो चुके हैं। इंजन बिना ओवरहॉलिंग के नहीं चलेगी। कुछ बसों के शीशे चटक गए हैं। टाटा एसएमएल की इन बसों में प्रत्येक की कीमत लगभग 25 लाख रुपए है। इनकी हालत इतनी पतली हो चुकी है कि यदि इन्हें आज की तारीख में परमिट मिल भी गया तो इन्हें सड़क पर लाने के लिए कम से कम 2 महीना और प्रति बस कम से कम 2 लाख रुपए खर्च आएगा।
इधर प्राण संकट में
डिपो कर्मचारियों ने कांग्रेस के पूर्व राज्य सचिव महेश जायसवाल, ब्लाक अध्यक्ष द्वय प्रकार जनबंधु एवं केशव चौबे, अतुल चंद्र साहू, परविन्दर सिंह, सुनील राउत, सागर, दिनेश गुप्ता, राजेश गुप्ता, राज सिन्हा, युवा कांग्रेस के उपाध्यक्ष मनीष तिवारी को बताया कि जहां वे रहते हैं वहां उनकी जान को खतरा है। हाल के छिटपुट बारिश में ही छत और दीवारें पूरी गीली हो गई हैं और जगह जगह से पलस्तर उखड़ कर गिर रहा है। दिन भर के थके हारे सोए रहेंगे और यहां सिर पर कब कंक्रीट का टुकड़ा आ गिरे कहना मुश्किल है। दिन में तो खतरे से खेलना मजबूरी है पर वो कोशिश कर रहे हैं कि बारिश से पहले किराए का कोई मकान ले लें और वहां शिफ्ट हो जाएं।
दो दो डिपो बनकर तैयार
सिटी बसों को यहां लाकर बड़े जोर शोर से उनका उद्घाटन किया गया है। सम्प्रति उपराष्ट्रपति एवं तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री वैंकय्या नायडू ने समारोहपूर्वक इनका शुभारंभ किया था। बटालियन के पास और डी मार्ट के पास सिटी बसों के लिए दो दो डिपो बन कर तैयार हैं। थोड़ा-थोड़ा काम बचा हुआ है जिसके कारण उद्घाटन नहीं हो पा रहा है।
मोदी-वैंकैयाया से शिकायत
कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि बसों की इस हालत की जानकारी उपराष्ट्रपति वैंकैय्या नायडू एवं प्रधानमंत्री से की जाएगी। जनता के पैसे को छत्तीसगढ़ की निकम्मी सरकार किस तरह बर्बाद कर रही है, उन्हें भी तो पता लगे।