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स्वरूपानंद महाविद्यालय में विश्व धूम्रपान निषेध पर गोलमेज चर्चा

Jun 2, 2018

भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय आमदी नगर हुडको भिलाई में 31 मई को विश्व धूम्रपान निषेध दिवस के उपलक्ष्य में गोल मेज चर्चा का आयोजन किया गया जिसमें महाविद्यालय के शैक्षणिक एवं गौरशैक्षणिक स्टाफ ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किये। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने कहा कि विदेशों में मौसम के अनुसार निकोटिन की आवश्यकता रहती है। जिससे वहाँ के लोग उसका सेवन करते हैं। वहां की संस्कृति का प्रभाव भारत देश पर भी पड़ा किन्तु यहां के लोग विदेशी संस्कृति को अपना प्रतिष्ठा का प्रतीक मानते हुये इस धूम्रपान के सेवन अपनी आदत बना लिये हैं। जो उनके लिये हानिकारक है।भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय आमदी नगर हुडको भिलाई में 31 मई को विश्व धूम्रपान निषेध दिवस के उपलक्ष्य में गोल मेज चर्चा का आयोजन किया गया जिसमें महाविद्यालय के शैक्षणिक एवं गौरशैक्षणिक स्टाफ ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किये। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने कहा कि विदेशों में मौसम के अनुसार निकोटिन की आवश्यकता रहती है। जिससे वहाँ के लोग उसका सेवन करते हैं। वहां की संस्कृति का प्रभाव भारत देश पर भी पड़ा किन्तु यहां के लोग विदेशी संस्कृति को अपना प्रतिष्ठा का प्रतीक मानते हुये इस धूम्रपान के सेवन अपनी आदत बना लिये हैं। जो उनके लिये हानिकारक है। प्रभारी डॉ. रचना पांडेय ने कहा कि धूम्रपान का सेवन व्यक्ति के लिये हानिकारक होता है साथ ही साथ परिवार पर भी इसका गलत प्रभाव पड़ता है। जिससे आने वाली पीढ़ी भी इन आदतों का शिकार हो जाती है।
लैब अटेण्डेंट सतीष एवं अमित कुमार ने कहा कि धूम्रपान की आदत दोस्तों की संगती से पनपता है और धीरे-धीरे ये हमारे आदत में आ जाता है। यदि हम इसका सेवन नहीं करेंगे तो किसी भी काम में मन नहीं लगता है। यशपाल ने कहा कि पान, गुटखा हम अपने रूचि से खाते है, यदि हम सोच ले ये सारी चीजें नहीं खाना है तो हो सकता है धीरे-धीरे हमें इस नशे से मुक्ति मिल जाये। सफाई कर्मचारी प्रशांत ने कहा कि अचानक तंबाखू नहीं छोड़ा जा सकता धीरे-धीरे इसको छोड़ने के लिये दिनभर सौफ खाते रहने से शायद हम इससे मुक्ति पा सकें।
क्रीड़ा अधिकारी मुरली मनोहर तिवारी ने कहा कि धूम्रपान करने से शरीर की क्षमता कम हो जाती है जिससे खिलाड़ियों के कैरियर पर गहरा असर पड़ता है। व्यक्ति के शरीर में नुकसान के साथ उसका जीवन भी कम उम्र में मौत का शिकार हो सकता है। जिगर भवसार ने कहा कि युवाओं में ये चीजे ज्यादा देखी जा रही है जिनमें लड़के-लड़कियां दोनो शामिल हैं और वे समझते हैं कि यही हमारी संस्कृति है इसे रोकने हेतु नुक्कड़ नाटक और खेल के द्वारा रोकने का प्रयास किया जा सकता है। सहा.प्रा. शैलजा पवार ने कहा कि नशायुक्त वस्तुओं से कैंसर होने की संभावना ज्यादा रहती है। चर्चा के समापन में सभी गैर शैक्षणिक ने शपथ लिया कि आज से नशे की वस्तु के बजाय सौंफ और मिसरी का सेवन करेगें।

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