भिलाई। यूरो-अमेरिकन मॉडल हमारा आदर्श बन गया है जिसके कारण आधुनिकता को अपनाने की दौड़ में भारतीय ज्ञान सम्पदा और तथा ज्ञान परम्पराओं को हम हेय दृष्टि से देखने लगे है। उक्ताशय के विचार व्यक्त करते हुए पुनरूत्थान विद्यापीठ, अहमदाबाद (गुजरात) की कुलपति सुश्री इंदुमति काटदरे ने मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त करते हुए कहा, विश्व में अनेक संस्कृतियां आई और उनमें से अधिकतम लुप्त हो गईं किन्तु भारतीय संस्कृति चिरंजीवी होकर आज भी विद्यमान है। उन्होंने आगे कहा कि पाश्चात्य शिक्षा व्यवस्था में ज्ञान एक ऐसा उपभोक्ता पदार्थ है जो पैसे से खरीदा जाता है। भारतीय ज्ञान परम्परा में ज्ञान को पदार्थ न मानते हुए उसे सत्ता, धन, सम्पत्ति तथा ऐश्वर्य से उपर व श्रेष्ठतर माना गया है। भारतीय ज्ञान परम्परा शिक्षा, व्यवसाय, व्यवहार व सत्ता का मार्गदर्शक रही है। उन्होंने आगे कहा कि संस्कृति के बिना समृध्दि राक्षसी समृध्दि बन जाती है अत: केवल भौतिक समृध्दि के लिए शिक्षा ग्रहण कर लेने से व्यक्ति में आसुरी विकास होता हैै। भारतीय दर्शन विघा की उपासना के साथ-साथ भौतिक समृध्दि के प्रयासो को जोड़कर देखता है।
प्रबुध्द परिषद के सहयोग से कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित इस परिचर्चा की अध्यक्षता करते हुए कामधेनु विश्वविद्यालय, दुर्ग के कुलपति डॉ. नारायण पुरूषोत्तम दक्षिणकर ने कहा कि युवा पीढ़ी को भारतीय ज्ञान सम्पदा और तथा भारतीय ज्ञान परम्पराओं का ज्ञान होना आवश्यक है। अध्यक्षता करते हुए हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. एन. पी. दीक्षित ने कहा कि अंग्रेजों द्वारा भारत के समृध्द शिक्षा प्रणाली को ध्वस्त कर देश में एैसी शिक्षा नीति लागू की जिससे हमारे दिमाग अभी भी गुलामी की स्थिति में हैं।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. ए. आर. वर्मा ने मुख्य वक्ता सुश्री इंदुमति काटदरे का श्रीफल व साल से सम्मान किया। आरंभ में इस परिचर्चा के संयोजक डॉं. डी. एन. शर्मा ने कार्यक्रम तथा अतिथियों का परिचय देते हुए स्वागत भाषण दिया। डॉ. मणीमेखला शुक्ला ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। महाविद्यालय के उप प्राचार्य डॉ. वाई. आर. कटरे ने आभार व्यक्त किया। पत्रकारिता विभाग प्रमुख डॉ. आर. पी. अग्रवाल ने कार्यक्रम का संचालन किया । इस अवसर पर राजस्थान माध्मिक शिक्षा मण्डल के सदस्य ब्रजमोहन रामदेव, सुन्दरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय निर्देशक डॉ. हरिनारायण दुबे, साहित्यकार डॉ. रवि श्रीवास्तव, प्रेस क्लब भिलाई के अध्यक्ष सुर्या राव, डॉ. प्रफुल्लचंद्र पंडा, प्रबुध्द परिषद देश दीपक सिंह व संजय मिश्रा, के.के. गुप्ता, शानु मेनन, प्रो. जे. के. तिवारी डॉ. विभा सिंह, डॉ. प्रमोद शंकर शर्मा, डॉ. एन. एस. बघेल, डॉ. लखन चौधरी, डॉ. के. दिनेश, डॉ सोनभद्रा, डॉ. पुष्पलता शर्मा, प्रो. वाई. पी. पटेल सहित प्राध्यापकगण व बड़ी संख्या में विद्यार्थीगण उपस्थित रहे।