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स्वरूपानंद महाविद्यालय में ‘कैरियर इन ऐंकरिंग’ पर तीन दिवसीय कार्यशाला

May 29, 2019

Career in Anchoringभिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में ‘कैरियर इन ऐंकरिंग’ पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें प्रथम दिवस की वक्ता डॉ. ज्योति धारकर प्रो. भूगोल, शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर, महाविद्यालय दुर्ग, छ.ग. थीं। कार्यक्रम संचालन करते हुये सहायक प्राध्यापक श्रीमती श्वेता दवे, नैक संयोजक ने बताया कि विषय विशेषज्ञ डॉ. ज्योति धारकर ‘एंकरिंग के क्षेत्र में करियर’ पर प्रकाश डालेंगी जिसके माध्यम से आप एंकरिंग में कैरियर के कहां-कहां अवसर है, उन अवसरों की सूचना आपको कैसे प्राप्त होगी, इस अवसर के संबंध में विस्तार से जानकारी प्राप्त कर पायेंगे। डॉ. धारकर स्वयं बहुत अच्छी मंच संचालक है, आप यूपीएससी से रेडियो और दूरदर्शन में एंकरिंग के लिये चयनित हुर्इं किन्तु शिक्षा के क्षेत्र में सेवा देने के दृढ़ संकल्प के कारण आप शासकीय महाविद्यालय में अपनी सेवायें दे रहीं हैं साथ ही साथ एंकरिंग में रूचि होने के कारण आप आॅल इंडिया रेडियो के युववाणी कार्यक्रम का संचालन चार वर्षों तक किया तथा नेशनल जियोग्राफिक चैनल के वाइल्ड लाईफ, हिस्टोरिकल प्लेसेस, छत्तीसगढ़ में शिक्षा आदि विषय वाले एपिसोड का स्क्रिप्ट लिखकर अपनी आवाज भी दी। अत: आप आज के सत्र में एंकरिंग के लिये आवश्यक गुढ़ विशेषताओं को तथा एंकरिंग में कैरियर को अच्छी तरह से समझ पायेंगे।
प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने बताया कि किसी कार्यक्रम की सफलता में कार्यक्रम संचालक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। आज एंकरिंग प्रोफेशन बन चुका है। विद्यार्थी जिनमें प्रतिभा है वह मेहनत से अपने रूचि को ही अपना पेशा बना सकते हैं। आज एंकरिंग के क्षेत्र में आकाशवाणी और दूरदर्शन के अलावा क्षेत्रिय एवं पारिवारीक कार्यक्रमों में भी संभावनायें हैं मांगलिक अवसरों में भी एंकरिंग कर अच्छी आय अर्जित की जा सकती है।
डॉ. ज्योति धारकर ने विद्यार्थियों को एंकरिंग के क्षेत्र में कैरियर की संभावना विषय पर अपने वक्तव्य में बताया एंकरिंग के क्षेत्र में कैरियर की अपार संभावनायें है इसमें नाम के साथ पैसा भी है। एंकरिंग के लिये दस गुण होने चाहिये यह गुण हमारे व्यक्तित्व में छुपी होती है, आवश्यकता उसे बाहर निकालने की। कुछ व्यक्ति बहुत अच्छे शिक्षक होते हैं वह सौ बच्चों की कक्षायें अच्छे से संभाल लेते हैं पर एंकरिंग की बात आते ही स्टेज पर बोलना नहीं चाहते।
अमिताभ बच्चन, अरूणव गोस्वामी, सुधीर पचैरी, अंजना, ओम कश्यप, श्वेता सिंह, रोहित सरदाना, रजत शर्मा, रूचिका लियाकता, आज के बेस्ट एंकर हैं। सत्तर-अस्सी के दशक में अमीन सयानी द्वारा बिनाका गीतमाला का इतना सशक्त संचालन होता था कि श्रोता देर रात तक इस कार्यक्रम को सुनने के लिये जागते थे, हरीश भिमानी जब महाभारत धारावाहिक में ‘मैं समय हूं’ वाक्य से एपिसोड की शुरूआत करते थे तो दर्शक स्तब्ध होकर उसे सुनते रहते थे, उन्हें एक एपिसोड के लिये पच्चीस से तीस हजार रूपय मिलते थे।
एंकर को गले से नहीं दिल से बोलना चाहिये शब्द के माध्यम से चित्र उतरते चले जाये सारी शक्ति झोक दे अगर आपने एंकरिंग को अपना कैरियर चुन लिया है तो। इसके लिये आत्म विश्वास होना चाहिये, मुस्कुराते हुये बोलना चाहिये, विषय की तैयारी होनी चाहिये। आपका बॉडी लैंग्वेज विषय के अनुसार होना चाहिये। इस क्षेत्र में जाने के लिये ग्रेजुएट होना जरूरी है, यदि आप पत्रकारिता या मास कम्यूनिकेशन में स्नातक हैं तो एंकरिंग व जर्नलिज्म का मणिकांचन योग बनता है। एंकरिंग के लिये विषय का ज्ञान होना चाहिये, उनका स्वतंत्र चिंतन होना अपनी सोच होनी चाहिये दूसरो को कॉपी करने की कोशिश नहीं करनी चाहिये।
आकाशवाणी में एंकरिंग करते समय संवेदना को समझना होता है, सांस भी माईक से पीछे हटकर लेना चाहिये जिससे जनता को सांस की अवाज सुनाई न दे।
मंच संचालन के लिये आत्मविश्वास का होना आवश्यक है हर एंकर का अपना स्टाईल होना चाहिये मंच आपका साम्राज्य है। आप वहां के राजा हैं यह भाव आपके मन में होना चाहिये डर नहीं आने देना चाहिये। मंच आपका घर है अगर कविता पाठ करना, नाचना, गाना आता है तो मंच संचालक के लिये सोने में सुहागा होता है। अवाज में उतार चढ़ाव बहुत महत्वपूर्ण होता है साथ ही प्रारंभ अच्छा हो, जोष भी होना चाहिये। एंकर की भाव संधी हुई व नवीनता होनी चाहिये, एंकर को अच्छा लेखक होना चाहिये जिससे अपनी तैयार अच्छे से कर सकें। एंकरिंग से आपका जोश, बुद्धिमता, आपकी प्रोढ़ता प्रदर्शित होनी चाहिये, स्थति को संभालने की क्षमता होनी चाहिये।
मंच संचालन में कपड़ो पर ध्यान देना आवश्यक है संचालक को कपड़ा, कार्यक्रम व मौसम के हिसाब से पहनना चाहिये। जितना कैरी कर सकें उतना ही मेकअप करना चाहिये।
कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. सुनीता वर्मा, विभागाध्यक्ष हिन्दी, श्रीमती श्वेता दवे का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम में पंजीकृत छात्र-छात्रायें उपस्थित हुये।

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