नई दिल्ली। यह कहानी है अभिषेक धम्मा की। अभिषेक ने इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग में बीई किया है। पढ़ाई खत्म होने के बाद उसने जिम जाना शुरू किया और उसकी पूरी दुनिया ही बदल गई। यहां उसे ऑरगैनिक प्रॉडक्ट्स की जानकारी मिली और वह अपने खेतों में प्रयोग करने लगा। आज ऑर्गेनिक फार्मिंग के क्षेत्र में अभिषेक ने अपनी पहचान बना ली है। उसके उत्पाद अच्छी कीमत पर हाथों-हाथ बिक रहे हैं। उसका दावा है कि आज उसकी कमाई 40 हजार रुपए प्रतिदिन है।क्रिकेट और वालीबाल खिलाड़ी अभिषेक बताते हैं कि पढ़ाई के दौरान उन्हें कभी जिम जाने की नहीं सूझी। 2014 में पढ़ाई खत्म होने के बाद उन्होंने एक छोटा सा ब्रेक लिया और जिम ज्वाइन कर लिया। यहां उनका ध्यान सब्जी भाजी में रसायन होने और आर्गेनिक फल सब्जियों की गुणवत्ता की तरफ गया। उन्होंने अपने दादाजी के बनाए मंदिर से लगी बाड़ी में प्रयोग करना शुरू किया। यह जमीन का एक बेहद उपजाऊ टुकड़ा था जिसपर कभी खेती किसानी नहीं की गई थी।
अभिषेक बताते हैं कि उन्होंने यहां सब्जियों की आर्गेनिक खेती की। रंग, रूप और स्वाद के मामले में उपज लाजवाब रही। अब उन्होंने अपने पारिवारिक खेतों की तरफ रुख किया। परिवार के पास 25 एकड़ खेत थे।
एक समस्या थी। आसपास के खेतों में रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग किया जाता था। वहां के कीट इनके खेतों में चले आते थे। इसलिये थोड़ी मात्रा में ही सही उन्हें भी रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग करना पड़ा। उन्हें पता था कि तापमान बहुत ज्यादा (45 डिग्री से अधिक) होने पर रासायनिक कीटनाशक काम नहीं करते। गर्मियों के दिन में आसपास के खेत खाली रहते थे। उन्होंने इस समय का भी सदुपयोग किया।
अभिषेक ने आधुनिक सिंचाई तकनीकों का इस्तेमाल कर 12 महीने खेती का फैसला किया। ड्रिप इरिगेशन से न केवल सिंचाई में समय कम लगा बल्कि पंप के कम इस्तेमाल के कारण बिजली की बचत भी 70 फीसदी तक हो गई। मार्केट स्टडी के आधार पर उन्होंने टमाटर, करेला, लौकी, गाजर के साथ ही ब्रोकली और लाल पालक भी उगाया। इसके अलावा उन्होंने मीठी तुलसी की भी खेती की। इसके एक्स्ट्रैक्ट से शुगर फ्री बनाया जाता है।
उन्होंने खेती की नई तकनीकों का इस्तेमाल करना जारी रखा। उन्होंने बाड़ी में बांस के खम्बे और नाइलोन की रस्सी से पौधों को जमीन से ऊपर ले जाना शुरू किया। कीटों से बचाव के साथ साथ इससे प्रति एकड़ उपज में भी वृद्धि हुई।
आज आर्गेनिक फार्मिंग के क्षेत्र में अभिषेक ने अपनी पहचान बना ली है। उसके उत्पाद अच्छी कीमत पर हाथों-हाथ बिक रहे हैं। हमेशा घाटे में रहने वाली किसानी अब एक लाभ का व्यवसाय बन गया है। अभिषेक का दावा है कि वह प्रतिदिन 40 हजार रुपए की आमदनी अपने खेतों से ले रहा है।