29 सितम्बर को विश्व हृदय दिवस के अवसर पर विशेष
भिलाई। हृदयाघात से होने वाली मौतों में लगातार इजाफा हो रहा है। 1990 से पिछले वर्ष के बीच हृदयाघात से मरने वालों की संख्या में लगभग दोगुनी वृद्धि हुई है। इस बीच युवाओं में हृदय रोगों की दर बढ़ी है। अफसोस यह है कि इनमें से अधिकांश रोगियों की जान बचाई जा सकती थी। उक्त जानकारी हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ विवेक दशोरे ने दी। 38/10 नेहरू नगर वेस्ट, केपीएस के सामने, पंजाब बैंक के ऊपर स्थित न्यूलाइफ हार्ट, विमेन एंड चाइल्ड केयर क्लिनिक के संचालक डॉ विवेक दशोरे, डीएम कार्डियोलॉजी ने बताया कि जागरूकता का अभाव, सही हेल्थ पॉलिसी का न होना, प्रायमरी एवं सेकण्डरी प्रिवेन्शन प्रोग्राम का न होना इसका मुख्य कारण है। मोटापा, मधुमेह, तनाव और धूम्रपान मिलकर हृदय रोगों का कारण बन रहे हैं। उच्च रक्तचाप और हाई कोलेस्ट्रॉल वाले लोगों में हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा होता है। ऐसे लोगों को समय समय पर अपने हार्ट हेल्थ की जांच करवाते रहना चाहिए। इससे खतरे को टाला जा सकता है।
डॉ दशोरे ने बताया कि हृदयाघात से बचने का सबसे अच्छा तरीका इससे बचाव है। उच्च रक्तचाप, हाइपरटेंशन को कंट्रोल में रखने, धूम्रपान छोड़ने, नियमित व्यायाम, कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रखने, भोजन को संतुलित कर हार्ट अटैक से बचा जा सकता है। ऐसे मरीज जिन्हें दस साल से मधुमेह, कोरोनरी आर्टरी डिजीज, स्ट्रोक, लिम्ब इस्कीमिया, फैमिलियल हाइपरकोलेस्ट्रोलीमिया, स्टेज 4/5 की सीकेडी शिकायत हो का प्रबंधन बेहद सावधानी से करना पड़ता है। इसमें डाइट, दवाइयां तथा व्यायाम को शामिल किया जाता है। हृदयरोगियों को हमेशा अपने चिकित्सक के सम्पर्क में रहना चाहिए। थोड़ी सी भी लापरवाही इसमें बहुत भारी पड़ सकती है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि धमनियों में रक्तसंचार प्रभावित होने पर इस स्थिति को लिम्ब इस्कीमिया कहते हैं। इसी तरह फैमिलियल हाइपरकोलेस्ट्रोलीमिया एक ऐसी आनुवांशिक स्थिति है जिसमें शरीर एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को हटा नहीं पाता। सीकेडी किडनी से जुड़ी समस्या है जिसमें वह अपनी काम करने की क्षमता खो देती है। ये सभी मामले हृदय रोगों से जुड़े हुए हैं।