भिलाई। संतोष रूंगटा समूह द्वारा संचालित रूंगटा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी की छात्राओं को सफल महिला उद्यमियों ने बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने के लिए निरंतर कोशिश करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि आधुनिक भारत में सभी के लिए समान अवसर हैं जिसका भरपूर लाभ लिया जाना चाहिए। ये महिलाएं राष्ट्रीय बालिका दिवस के उपलक्ष्य में छात्राओं को संबोधित कर रही थीं। रूंगटा कॉलेज ऑफ इंजीनियङ्क्षरग एंड टेक्नालॉजी के आडिटोरियम में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में छात्राओं को छत्तीसगढ़ की उन ख्यातिलब्ध सफल महिला उद्यमियों ने संबोधित किया, जिन्होंने अपनी पहचान अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक बनाई है। शिक्षित हो रहे समाज के कारण लिंगानुपात में हो रहे सुधार का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अगर जीवन में कुछ अलग करना है, सफल होना है तो बड़े सपने ही देखें। वही आपको मार्ग दिखाएंगे, इसके लिए पहले घर-परिवार, समाज की बातों की अनदेखी करते हुए बाधाएं लांघनी होगी। लक्ष्य पाना है, तो कभी हम ये न सोचें कि हम एक महिला हैं।
प्रदेश में कंप्यूटर साइंस की पहली महिला पीएचडी डॉ. सीपी दुबे ने कहा कि उनका जन्म उस दौर में हुआ जब बेटी होने की खुशियां नहीं मनाई जाती थीं। उस दौर में भी उनके पिता ने समाज के दबाव के खिलाफ जाकर बेटियों को न केवल उच्च शिक्षा दिलाई बल्कि उन्हें खेलकूद के लिए भी प्रेरित किया। वे और उनकी बहन राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी रही हैं। कम्प्यूटर साइंस में शिक्षा ग्रहण करने के बाद वे अध्यापन से जुड़ीं, पीएचडी किया और फिर सीएसवीटीयू में कम्प्यूटर साइंस की डीन भी बनीं। कुछ अलग करने की चाहत में उन्होंने गारमेन्ट सेक्टर में उद्यमिता की ठानी। यहां भी केवल महिला होने के कारण उन्हें अलग तरह की चुनौतियां झेलनी पड़ीं। पर वे आगे बढ़ती रहीं और आज सफल हैं। उनका लक्ष्य कम से कम 1000 महिलाओं को रोजगार देना है। जिस गांव में पहले उनका उपहास किया जाता था आज उसी गांव में आधा दर्जन बालिकाओं का नाम उनके नाम पर रखा गया है।
इवेंट डिजाइनर व स्टाइलिस्ट, गिफ्टिंग सॉलूशंन्स गुंजन गोल्छा ने कहा कि उनके समाज-परिवार में लड़कियां बिना अनुमति घर से बाहर तक नहीं जा सकती थी। आत्मविश्वास के साथ लक्ष्य साधते हुए उन्होंने इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रानिक्स में बीई किया। उन्होंने कहा कि लड़कियां लड़कों के हिसाब से सोचकर आगे बढ़ें। नेगेटिव एनर्जी पर ध्यान न दें।
मोटिवेशनल स्पीकर व कार्पोरेट ट्रेनर यूएस विभूति दुग्गर मुथा ने बताया कि उनके सामने उनका परिवार ही दीवार बना हुआ था। ग्रेजुएशन के दौरान ही लड़के देखने आने लगे थे। कोई सलवार में, तो कोई साड़ी में देखने की बात करते थे। पर वे एमबीए करना चाहती थीं। उन्होंने घर वालों के सामने अपनी बात रखी तो सन्नाटा छा गया। पर उन्होंने अपना लक्ष्य नहीं त्यागा। उन्होंने छात्राओं से कहा कि स्वयं पर विश्वास रखते हुए इंडिपेंडेंट होकर घर-परिवार का खर्च उठा सको, ऐसा लक्ष्य लेकर आगे बढ़ना होगा।
फैशन डिजाइनर नेहा टंडन शर्मा ने बताया कि उनके घर का माहौल सकारात्मक था। पर एमबीए करना एक चुनौती थी। बैंक में पांच हजार भी नहीं थे और एडमिशन का समय चला जा रहा था। लोगों से लगातार सहयोग मांगा। एक समय ऐसा भी आया जब पुरुष वर्चस्व के क्षेत्र में अपनी क्षमता प्रदर्षित करनी पड़ी और आज सबकुछ ठीक हो गया।
संतोष रूंगटा समूह की रूबी इकाई एवं रेडियंस आरएसडीसी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में प्राचार्य डॉ. मोहन अवस्थी ने अतिथि वक्ताओं का स्मृति चिन्ह से अभिनंदन किया। प्रो. मनीषा अग्रवाल, प्रो. रेजो रॉय, डॉ. मनोज वर्गीस, रासेयो कार्यक्रम अधिकारी प्रो. एस भारती आदि की सहभागिता रही।
कार्यक्रम में रूंगटा कालेज आॅफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नालाजी भिलाई, फॉर्मास्युटिकल साइंसेस एंड रिसर्च भिलाई, रूंगटा इंस्टीट्यूट आफ फॉर्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च एवं जीडी रूंगटा कॉलेज आफ साइंस एंड टेक्नालॉजी भिलाई की छात्राओं के साथ एनएसएस इकाई की स्वयं सेविकाओं ने भागीदारी दी।