भिलाई। मनुष्य मात्र का जीवन विचारों का ताना बाना है। जब भी हम अकेले होते हैं या बिस्तर में निंदिया रानी का इंतजार करते हैं तो विचारों के इस संसार में खलबली मची रहती है। इनमें से कुछ विषय अनमोल होते हैं। कुछ आगे की रणनीति तय करने में मददगार होते हैं। कुछ यूं ही आकर चले जाते हैं। इनमें से कुछ अनमोल होते हैं जिन्हें अकसर हम भुला देते हैं। अंशिका ने अपने काव्य संकलन Night Silence Creation में इन पलों को बड़ी शिद्दत से संजोया है।
अंशिका मदन मोहन पेशे से सिविल इंजीनियर हैं। एमबीए करने के बाद वे फार्चून-500 कंपनी अर्नस्ट एंड यंग से जुड़ गईं। महज 27 वर्ष की उम्र में वे इस फर्म के लिए आर्बिट्रेशन कंसलटेंट की जिम्मेदारी संभाल रही है। पर्यावरण को लेकर भी वे बेहद सजग हैं। तमाम व्यस्तताओं के बावजूद उनकी रचनाधर्मिता उन्हें आज भी कलम उठाने के लिए मजबूर करती है।अंशिका ने लेखन की शुरुआत ब्लाग से की थी। इसपर उन्होंने कुछ कविताएं पोस्ट की थीं। अच्छा प्रतिसाद मिला। लोगों ने हौसला बढ़ाया तो आगे लिखने की इच्छा भी बलवान होती रही। पर इसे परवान चढ़ाया भाई ने। उन्हीं की प्रेरणा से उन्होंने अपनी कविताओं को एक संकलन का रूप दिया। इसे प्रकाशित किया है नोशन प्रेस ने।
इन कविताओं की विशेषता यह है कि इसमें फुर्सत के पलों में आने वाले विचारों की महत्ता प्रतिपादित की गई है। आम तौर पर ये विचार कुछ ही पल के लिए आते हैं और गुम हो जाते हैं। पर ये विचार हमारी जिन्दगी को संवार भी सकते हैं। इन कविताओं में इन्हें सहेजने और आगे कार्यरूप में परिणत करने की प्रेरणा भी है।
अंशिका के पिता मदन मोहन श्रीवास्तव भी इंजीनियर हैं तथा माता डॉ संध्या मदन मोहन सम्प्रति भिलाई महिला महाविद्यालय की प्राचार्य हैं। डॉ संध्या बताती हैं कि उनके परिवार में बच्चों पर कभी दबाव नहीं डाला गया। उन्होंने अपना रास्ता स्वयं चुना। जिस विषय में रुचि हुई उसी में पढ़ाई की और अपने करियर का रास्ता भी स्वयं तय किया। जब अंशिका की पुस्तक की खबर मिली तो वे बेहद आल्हादित हुर्इं। ये कविताएं उनके लिए भावुक कर देने वाली थीं। यह पुस्तक अमेजॉन.कॉम पर उपलब्ध है।
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