भिलाई। बारिश का मौसम एक तरफ जहां झुलसाती गर्मी से राहत का पैगाम लेकर आता है वहीं दूसरी तरफ मच्छरों और जलजनित रोगों का भी प्रकोप बढ़ जाता है। इस मौसम में अपने बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कुछ अतिरिक्त सावधानियां बरतने की आवश्यकता होता है। हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ दीपक पाणीग्रही ने बताया कि बच्चे के तापमान और उसके व्यवहार पर नजर रखकर इनकी पहचान की जा सकती है। हेपेटाइटिस (Hepatitis) भी इनमें से एक है। लक्षण दिखने पर तत्काल शिशु रोग विशेषज्ञ से सम्पर्क करना चाहिए।डॉ पाणीग्रही ने बताया कि बारिश के साथ ही तमाम तरह के संक्रमण भी सिर उठाने लगते हैं। इनमें हेपेटाइटिस ए और ई का संक्रमण प्रमुख है। शिशु के संक्रमित होने के कुछ सप्ताह बाद इसके लक्षण सामने आने लगते हैं। लगभग 100 डिग्री का बुखार लगातार बने रहना, बच्चे का सुस्त रहना, पेट और जोड़ों में दर्द, भूख नहीं लगना जैसे लक्षण हो सकते हैं। इसका वायरस दूषित जल एवं भोजन से शरीर में प्रवेश करता है।
हेपेटाइटिस ई के लक्षण कुछ ज्यादा गंभीर प्रकार के होते हैं। बुखार और पेट दर्द के साथ ही इसमें लीवर में सूजन, पेट के दाहिने हिस्से में दर्द, आंखों में पीलापन और पेशाब का पीला तथा धुंधला होना शामिल होता है। बच्चे को तत्काल अस्पताल ले जाएं वरना जान को जोखिम हो सकता है।
डॉ पाणीग्राही बताते हैं कि बारिश में बाहर का भोजन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। फल एवं सब्जियों को अच्छे से धोकर इस्तेमाल में लाना चाहिए। बच्चों को पानी उबालकर-ठंडा कर पीने के लिए देना चाहिए।
मच्छरों से करें बचाव
बारिश के मौसम में मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ जाता है। मलेरिया और डेंगू परेशान कर सकते हैं इसलिए सभी को शरीर को पूरा ढंकने वाले कपड़े और सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करना चाहिए। आजकल मेडिकेटेड मच्छरदानियां भी आती हैं।