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देवदूत बनकर समय पर पहुंच जाते हैं एम्बुलेंस कर्मी, 24 घंटे रहते हैं अलर्ट

May 18, 2021
Alert ambulance drivers saving lives of corona patients

बेमेतरा। कोरोना संक्रमण काल में स्वास्थ्य विभाग व फ्रंटलाइन हेल्थ वर्करों द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है। इसमें सबसे महत्वूपूर्ण सेवा एंबूलेंस और मुक्तांजली वाहनों की देखी जा रही है। सुबह हो या शाम 24 घंटे सायरन बजाते यह एंबूलेंस के पायलट अपनी जान पर खेलकर संक्रमितों को समय पर कोविड केयर अस्पताल पहुंचाकर जान बचा रहे हैं। फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर के रुप में संक्रमण के जोखिम के बावजूद डयूटी पर तैनात रहते हैं। संजीवनी एक्सप्रेस-108 के जिला प्रबंधक रुपेंद्र मिश्रा का कहना है जिले में 21 पायलेट व 21 ईएमटी की 9 टीम का एम्बुलेंस कर्मियों का भी परिवार है, लेकिन ड्यूटी की खातिर सब कुछ छोड़ मरीजों की सेवा में जुटे हुए हैं। कोरोना महामारी के बीच मरीजों को बचाने के लिए एंबुलेंस दौड़ रही है। चालकों के साथ इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन (ईएमटी) भी डटे हुए हैं। श्री मिश्रा कहते हैं कोशिश यही रहती है कि मरीजों को सही समय से अस्पताल पहुंचाया जा सके। इस बीच कोई ट्रीटमेंट्स की जरूरत होती है तो वह भी देते हैं। मरीजों को ले जाने में मास्क, हैंडगल्ब्स, सेनेटाइजर पूरी एहतियात बरतते हैं।
“जब से इस बार कोरोना कॉल की दूसरी लहर शुरू हुई है, तब से लॉकडाउन की अवधि में 2200 से ज्यादा संक्रमित मरीजों को एम्बुलेंस की सेवा प्रदान की गई हैं। इससे एक भी एम्बुलेंस कर्मी को संक्रमण नहीं हुआ। और समय पर एम्बुलेंस की सेवा मिलने से किसी भी मरीज की रास्ते में जान नहीं गई। इमेंरजेंसी सेवा में तैनात कोविड महामारी में जान की परवाह न करते हुए मरीजों की सेवा में लगे हुए हैं,’’ श्री मिश्रा ने बताया ।
108 संजीवनी एक्सप्रेस में कार्यरत ईएमटी गोकरण साहू बताते हैं संक्रमित मरीजों को अस्पताल लाने में बहुत ही एहतियात बरतनी पड़ती है। गंभीर मरीजों को आक्सीजन भी देनी पड़ती है। प्राथमिकता के आधार पर मरीजों की जान बचाना वह अपना कर्तव्य समझते हैं। स्वास्थ्य सेवा के लिए एम्बुलेंस सुविधा कोरोना कॉल में दिन रात दौड रही हैं, 24 घंटें दिन हो या रात किसी भी समय सूचना मिलने पर संक्रमितों को लेने व वापस ले जाने के लिए तैयार रहते हैं जिनमें सबसे ज्यादा चक्कर 108 संजीवनी एक्सप्रेस दौड़ रही है। संजीवनी एक्सप्रेस मरीजों को आसपास से तो ला ही रही है समय पड़ने पर रायपुर हायर रेफरल सेंटर भी लेकर जाने में उनकी जान बचाने में कोई कसर नहीं छोडते हैं। पायलट और साथी बिना किसी हिचकिचाहट के मरीजों को पीपीई कीट पहन कर दिन रात मरीजों को संविधाएं प्रदान करने में लगे हुए है।
मुक्तांजली वाहन के चालकों को कोई आराम नहीं है। मृत व्यक्ति के शव को कोविड अस्पताल से उनके परिजनों के घर तक और फिर पीपीई कीट की प्रक्रिया पूरी कर शव को सुरक्षित परिजनों को सौपने के कार्य में लगी हुई है। कोविड अस्पताल में किसी संक्रमित की मौत होने या जिला अस्पताल में किसी मरीज की मृत्यु होने के बाद मुक्तांजलि वाहन से मृतक के शव को उसके घर तक पहुंचाने के काम मे मुक्तांजलि वाहन भी लगातार दौड़ लगा रही है। इसके चालक संक्रमण से बचने के लिए हरसंभव सुरक्षा बरतने का प्रयास करते है। मृतको को को अस्पताल से लेकर उनके घर पहुंचाकर पूरी एंबुलेंस के साथ-साथ खुद को सैनिटाइज करना पड़ता है। इन दिनों घर में भी अलग-थलग रहना पड़ता है, ताकि परिवार सुरक्षित रहे। कोरोना से डरना नहीं, लड़ना है, इसलिए हर वक्त सावधान रहना होगा।

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