दुर्ग। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय के अंग्रेजी विभाग द्वारा सीएचएम कॉलेज, उल्हासनगर महाराष्ट्र के सहयोग से आयोजित छह दिवसीय संकाय विकास कार्यक्रम (एफडीपी) आज प्रारंभ हो गया। इसमें 21 राज्यों तथा 2 केन्द्र शासित प्रदेशों से 600 से अधिक प्रतिभागियों ने भागीदारी सुनिश्चित की है। साइंस कालेज के प्राचार्य डॉ आरएन सिंह तथा सीएचएम कालेज की प्राचार्य डॉ मंजू लालवानी पाठक ने इसका संयुक्त रूप से उद्घाटन किया।डॉ पाठक ने शोध प्रक्रिया पर कोविड काल के प्रभाव की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि दोनों कालेजों ने साथ आकर इस चुनौती को फैकल्टी डेवलपमेंट के अवसर में परिणत किया है, जो सुखद है। इससे न केवल प्राध्यापकों एवं शोधार्थियों में ऊर्जा का संचार होगा बल्कि काम करने के नए रास्ते भी खुलेंगे।
एफडीपी के प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए स्रोत व्यक्ति डॉ अशोक थोराट ने शोध प्रक्रिया के विभिन्न चरणों को क्रमबद्ध करते हुए इसे आगे बढ़ाने के तरीकों की चर्चा की। उन्होंने शोधपत्र लिखते समय करने और नहीं करने वाले कार्यों को भी स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि गूढ़ अध्ययन के बाद प्रष्ठभूमि, अध्ययन, आंकड़े जुटाना, उपकरण एवं तकनीकों का विकास, समीक्षा एवं व्याख्या को इसी क्रम में करना चाहिए। स्रोतों का युक्तियुक्त चयन तथा रचनात्मक पृष्ठभूमि पर उन्होंने बल दिया। उन्होंने शोध करते समय करने और नहीं करने योग्य पांच-पांच बिन्दुओं की चर्चा की।
इस एफडीपी के अन्य वक्ताओं में हिस्लॉप कालेज नागपुर के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ प्रान्तिक बनर्जी, वेस कालेज मुम्बई के अवकाश प्राप्त सहायक प्राध्यापक डॉ नीलाक्षी राय, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ दिनेश नायर, एसएनडीटी विश्वविद्यालय के शोध केन्द्र की प्रमुख डॉ पुतुल साठे शामिल हैं। 31 मई को एक खुला सत्र होगा जिसमें परिचर्चा एवं फीडबैक लिया जाएगा।
आरंभ में आयोजन समिति की सदस्य शिशिरकना भट्टाचार्या ने अतिथि वक्ता का परिचय दिया। धन्यवाद ज्ञापन तन्वी जोशी ने किया।