सांकरा (दुर्ग)। देव संस्कृति महाविद्यालय में विश्व पर्यावरण दिवस पर राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया जिसका विषय “सतत् उपभोक्तावाद और हमारा प्रकृति प्रबंधन” था। हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ अरुणा पल्टा कार्यक्रम की मुख्य अतिथि थीं। मुख्य वक्ता के रूप में भाग्योदय फाउंडेशन नई दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर कृपाशंकर तिवारी उपस्थित थे।अपने उद्बोधन में कुलपति डॉ अरुणा पल्टा ने कहा कि प्रकृति का प्रबंधन आज की आवश्यकता है। मानव ने अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रकृति का भरपूर दोहन किया है। इसके कारण वनों की कमी, पानी की कमी, प्रदूषण की अधिकता परेशान करने लगी है। प्राचीन समय में लोग भोजन के लिए वन्यप्राणियों से संघर्ष करते थे। आधुनिक जीवन शैली के चलते अब संघर्ष हवा, पानी के लिए हो रहा है। समुद्री पौधे, जीव जन्तु विलुप्त हो रहे हैं। प्लास्टिक के प्रयोग से मिट्टी प्रदूषित हो गई है। उसके पोषक तत्व नष्ट हो गये हैं। उन्होंने कहा कि क्लीन एनर्जी के लिए हमें सौर किरणों के उपयोग को बढ़ाना होगा। उन्होंने इसका तीन सूत्रीय फार्मूला दिया। आर-रिसाइकल, आर-रीयूज, आर-रिड्यूस। उन्होंने कहा कि ऐसा करके हम प्रकृति को विनाश से बचा सकते हैं।
मुख्य वक्ता प्रो. कृपाशंकर तिवारी ने स्पष्ट किया कि धरती के संसाधनों के समुचित दोहन से हम पर्यावरण असंतुलन को दूर कर सकते हैं। दिल्ली में पानी और वायु प्रदूषण से लेकर मध्यप्रदेश में हीरा तलाशने के लिए वनों की कटाई तक के मुद्दों का उन्होंने उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण की दिशा में जागरूकता लाने के साथ साथ कुछ करने के लिए विश्वविद्यालय एक अच्छा माध्यम है जहां लाखों छात्र अध्ययन करते हैं। उनको जागरूक करने की आवश्यकता है। प्रकृति प्रबंधन के लिए उन्होंने 5-R का सूत्र दिया। रिड्यूस, रेस्टोर, रीकवर, रिफॉर्म एवं रीसाइकल।
विशेष आमंत्रित वक्ता डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने समीक्षा करते हुए कहा कि प्रकृति में जीवन से जुड़ी कई बातें, प्रतीकात्मक ढंग से हमें सहयोग प्रदान करती हैं। चाहे वह कृषि, औद्योगिक, वन, खनिज से जुड़ी तमाम बातें हमारी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती हैं। वायुमंडल में आज 18 प्रतिशत ऑक्सीजन ही रह गया है। लाखों लीटर जल व्यर्थ बहा देते हैं। निर्माण कार्य हेतु पर्यावरण को हानि पहुंचाते हैं। इसलिए हमें ऊर्जा की बर्बादी को रोकना होगा। छात्रों के लिए यह वेबीनार ज्ञान वर्धक एवं उपयोगी सिद्ध होगा।
महाविद्यालय की डायरेक्टर ज्योति शर्मा ने महाविद्यालय की विकास यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रकृति को बचाये रखने के लिए पर्यावरण सुरक्षा, वृक्षारोपण, जनजागरूकता आवश्यक है।
प्राचार्य डॉ कुबेर सिंह गुरुपंच ने सतत् विकास और प्रकृति प्रबंधन पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रकृति के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। हमारा उद्देश्य पर्यावरण के प्रति लोगों को सचेत करना है।
संचालन एवं आभार प्रदर्शन वर्षा शर्मा ने किया। जयहिन्द कछौरिया ने तकनीकी सहयोग दिया।