भिलाई। छत्तीसगढ़ में हवा से बिजनी बनाने की अच्छी संभावना है। इससे न केवल ग्रामीण इलाकों में घरेलू बिजली की जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा बल्कि कृषि पम्प भी चलाए जा सकेंगे। यह ऊर्जा का एक अक्षय स्रोत है और एक बार इंस्टाल कर देने पर इसके रखरखाव पर बहुत कम खर्च आता है। यह शोध संतोष रूंगटा ग्रुप (आर-1) द्वारा संचालित आरसीईटी के प्रोफेसर अलबर्ट जॉन वर्गिस ने तैयार किया है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विंड एनर्जी (निवे) भी इस प्रोजेक्ट से सहमत है।एलबर्ट ने बताया कि निवे भारत सरकार का विभाग है, जो पवन ऊर्जा पर शोध करता है। एलबर्ट ने दो साल तक छत्तीसगढ़ में चलने वाली हवा का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि यहां 2 मीटर प्रति सेकंड से लेकर 6.5 मीटर प्रति सेकंड तक की रफ्तार से हवा चलती है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से कंट्रोलर विंड एनर्जी को क्वालिटी बिजली में बदल देगा। इसके बाद इससे कोई भी उपकरण चलाया जा सकेगा।
एलबर्ट ने बताया कि इस उपकरण में विंड ब्लेड को नया रूप देना होगा। एलबर्ट भोपाल के रवींद्र नाथ टैगोर विश्वविद्यालय से पीएचडी हैं। हवा से बिजली बनाने के शोध में भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (भेल, भोपाल) के अवकाश प्राप्त महाप्रबंधक शंभु रतन अवस्थी का मार्गदर्शन मिला है।