भिलाई। इंडियन एकेडेमी ऑफ पीडियाट्रिशन्स आईएपी की मानें तो पोषण के लिए दूध एवं दुग्ध उत्पादों पर अत्यधिक भरोसा करना भी रक्ताल्पता (एनीमिया) की वजह बन सकता है। हीमोग्लोबीन स्तर को बनाए रखने के लिए सभी उम्र के बच्चों को आयरन और फॉलिक एसिड देना चाहिए। इसके अलावा संतुलित भोजन भी हीमोग्लोबीन स्तर को बेहतर बनाने में सहायक होती है।आईएपी के हवाले से उक्त जानकारी देते हुए वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ ओमेश खुराना ने बताया कि 6 माह से 5 साल तक के बच्चों में रक्त में एचबी का 11 से कम होना एनीमिया का द्योतक है। इसी तरह 5 से 12 साल तक की उम्र के बच्चों में 11.5 से कम एचबी को रक्ताल्पता माना जाता है। इसी तरह 12 से 14 की उम्र के किशोर-किशोरियों में 12 से कम एचबी को रक्ताल्पता मानते हैं। 14 से 19 की उम्र के किशोरों में 13 से कम तथा किशोरियों में 12 से कम एचबी को रक्ताल्पता की श्रेणी में रखा जाता है।
डॉ खुराना ने बताया कि रक्ताल्पता की शुरुआत आम तौर पर 6 माह से बड़े बच्चों में हो जाती है जब बच्चा मां का दूध पीने के साथ ही अतिरिक्त आहार लेना प्रारंभ करता है। इस उम्र के बच्चों को बहुत ज्यादा मवेशियों के दूध पर रखना उन्हें एनीमिक बना सकता है। इसके अलावा कुछ बच्चों में सेलियाक डिसीज (गेंहू के प्रति एलर्जी), किसी भी कारण से रक्तस्राव, पेट में कीड़ों का होना, थैलेसीमिया या अन्य बीमारियों के कारण भी रक्ताल्पता हो सकती है। बेहतर है कि बच्चों को फल, सब्जियां, दालों के साथ एक संतुलित आहार दिया जाए क्योंकि एचबी बनाने के लिए आयरन के साथ ही अनेक वाइटमिन्स की भी बड़ी भूमिका होता है।
रक्ताल्पता के लक्षण शुरू शुरू में प्रकट नहीं होते। जल्दी थक जाना, खेलों में रुचि नहीं लेना, भूख न लगना, पढ़ने में मन नहीं लगना, पढ़ा हुआ याद नहीं रहना जैसे लक्षण हो सकते हैं। रक्ताल्पता के कारण मस्तिष्क ठीक से विकसित नहीं हो पाता जिसके कारण ये लक्षण प्रकट होते हैं। इनमें से कुछ लक्षण लंबे समय में स्थायी हो जाते हैं। सही स्थिति का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट ही एकमात्र उपाय है। कुछ मामलों में रक्ताल्पता के शिकार बच्चे मिट्टी खाने लगते हैं। ऐसे बच्चों को चूना चाटते, चाक पेंसिल चबाते भी देखा जा सकता है। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चे पर बारीक नजर रखें तथा थोड़ा भी संदेह होने पर शिशु रोग विशेषज्ञ से सम्पर्क करें।
डॉ खुराना ने बताया कि रजस्वला किशोरियों-युवतियों को रक्ताल्पता से निपटने के लिए प्रत्येक रविवार को आयरन फॉलिक एसिड की एक गोली लेनी चाहिए। इसके अलावा गुड़ और रागी का सेवन करना चाहिए।