दुर्ग। कोविड महामारी का उच्च शिक्षा संस्थानों के कामकाज पर गहरा असर हुआ है। विद्यार्थियों को भी कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। विश्वविद्यालय ने अपने विद्यार्थियों को राहत पहुंचाने के लिए सत्र 2020-21 में अनेक निर्णय लिये हैं। इसका लाभ नियमित एवं स्वाध्यायी विद्यार्थियों को मिल रहा है। कई शुल्क माफ किये गये हैं, कई शुल्कों के लिए महाविद्यालयों से कहा गया है।उक्त जानकारी हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ अरुणा पल्टा ने विद्यार्थियों के प्रतिनिधि मण्डल के साथ चर्चा करते हुए दीं। डॉ पल्टा ने बताया कि ऑनलाईन परीक्षा आवेदन का प्रोसेसिंग शुल्क माफ कर दिया गया है। इसी प्रकार त्रुटिसुधार की प्रक्रिया को भी निःशुल्क कर दिया गया है। साथ ही महाविद्यालयों से भी आग्रह किया गया है कि वे जनभागीदारी शुल्क न लें। कुछ महाविद्यालयों ने जनभागीदारी शुल्क में 300 से 500 रुपए की रियायत देने की घोषणा की है।
उन्होंने बताया कि पोटिया में विश्वविद्यालय के नवीन भवन का निर्माण कार्य लॉकडाउन के चलते प्रभावित हुआ है। निर्माण कार्य में तेजी लाने के लिए लोक निर्माण विभाग से चर्चा हो गई है। विद्यार्थियों के आग्रह पर उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में आने वाले विद्यार्थियों के लिए बैठक व्यवस्था बेहतर करने का आश्वासन दिया।
परीक्षा शुल्क की राशि वापस करने संबंधी मांग पर स्थिति स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि परीक्षा की सभी तैयारियां लॉकडाउन से पूर्व ही पूरी हो चुकी थीं। प्रश्न पत्र एवं उत्तर पुस्तिकाएं भी छप चुकी थीं। मूल्यांकन का भी नगद भुगतान किया जा रहा है। 138 महाविद्यालयों में बने संग्रहण केन्द्रों से उत्तर पुस्तिकाओं को लाने के खर्च में वृद्धि हुई है। ऐसे में शुल्क वापसी संभव नहीं है।
नए रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम पर प्रतिनिधिमण्डल का मार्गरदर्शन करते हुए कुलपति ने कहा कि जिन महाविद्यालय में नये रोजगारान्मुखी पाठ्यक्रम आरंभ कराना चाहते हैं उन महाविद्यालयों के माध्यम से निर्धारित प्रकिया अनुसार प्रस्ताव उच्च शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ शासन को भिजवाएं। शासन की स्वीकृति मिलते ही विश्वविद्यालय प्रक्रिया प्रारंभ कर देगा।
चर्चा के दौरान कुलसचिव, डॉ सी.एल.देवांगन, अधिष्ठाता छात्र कल्याण, डॉ प्रशांत श्रीवास्तव, उपकुलसचिव, डॉ राजमणि पटेल, सहा. कुलसचिव, ए.आर. चौरे, डॉ. सुमीत अग्रवाल, हिमांशु शेखर मंडावी भी उपस्थित थे।