भिलाई। जीवन के उतार चढ़ाव कभी डराते हैं तो कभी उलझाते हैं। यही उतार चढ़ाव सिखाते और सुलझाते भी हैं। एक शिक्षक का जीवन सैकड़ों विद्यार्थियों से जुड़ा होता है। विद्यार्थी जितना उनसे सीखते हैं, उससे कहीं ज्यादा उन्हें सिखा जाते हैं। अपने जीवन के इन्हीं अनुभवों को “जीवन के निशान” (The Life Trail) में साझा किया है डॉ मिट्ठू एवं सीए प्रवीण बाफना ने। अनुभवों के इस सार को हिन्दी और अंग्रेजी में 125 पन्नों में समेटा गया है।
डीएसआर प्रकाशन द्वारा प्रस्तुत इस पुस्तक का प्राक्कथन कहता है कि यह किताब आशावानों की आशाओं को नई उड़ान के लिए ऊर्जा देगी, साथ ही निराश लोगों के जीवन में आशा का संचार करेगी। पुस्तक एक तरफ जहां खुश रहने का तरीका सिखाती वहीं आत्मबोध को महत्व देती है। पुस्तक विद्यार्थियों से कहती है कि जो विषय पसंद नहीं, उसे पहले खत्म कर लो। कुछ नया सीखने के लिए कुछ पुराना भुला दो। पुस्तक उन छोटी-छोटी चूकों की तरफ पाठक का ध्यान आकर्षित करती है जिसमें उलझकर हम अपना कीमती वक्त बर्बाद कर देते हैं। पुस्तक संदेश देती है कि जीवन के प्रत्येक पल को सकारात्मक सोच एवं रचनात्मक गतिविधियों से जोड़कर सफलता की ऊंचाइयों को छुआ जा सकता है।
सरल शब्दों में बिना लाग लपेट के अपनी बात कहने का यह अंदाज डॉ मिट्ठू और सीए प्रवीण ने संभवतः अपने गुरू डॉ संतोष राय से सीखी है। पुस्तक उन सभी के लिए बेहद उपयोगी सिद्ध हो सकती है जो अपने जीवन से खुश नहीं हैं और उसमें परिवर्तन चाहते हैं। पुस्तक का मूल्य 150 रुपए है। पुस्तक प्राप्त करने के लिए dsrpublishers@gmail.com पर सम्पर्क किया जा सकता है।