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तीन साल में छत्तीसगढ़ के पौने दो लाख बच्चे हुए कुपोषण से मुक्त

Apr 14, 2022
172000 kids beat malnutrition

रायपुर। पिछले तीन वर्षों में छत्तीसगढ़ के लगभग पौने तीन लाख बच्चे कुपोषण से बाहर आ चुके हैं। 2 अक्टूबर 2019 को मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान प्रारंभ किया था। उस समय लगभग 4,33,541 बच्चे कुपोषित थे। इनमें से 1,72,000 बच्चे अब कुपोषण मुक्त हो चुके हैं। इस तरह कुपोषित बच्चों की संख्या में 39 प्रतिशत की कमी आई है। राज्य में कुपोषण का प्रतिशत 31.3 है जो कुपोषण के राष्ट्रीय औसत 32.1 प्रतिशत से कम है। राज्य में 85 हजार महिलाएं एनीमिया से मुक्त हो चुकी हैं।
छत्तीसगढ़ ने एकीकृत बाल विकास सेवा मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना, वजन त्यौहार तथा नवा जतन जैसी योजनाओं एवं मुख्यमंत्री पोषण अभियान के समन्वित प्रयास से यह लक्ष्य हासिल किया है। विगत तीन वर्षों के दौरान कुपोषण में 8.7 प्रतिशत की कमी आई है।
राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण-4 के अनुसार प्रदेश के 5 वर्ष से कम उम्र के 37.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषण और 15 से 49 वर्ष की 47 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थीं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के मुताबिक राज्य में कुपोषण का प्रतिशत 31.3 रह गया है जो कुपोषण के राष्ट्रीय औसत से 32.1 प्रतिशत से कम है। राज्य में 85 हजार महिलाएं एनीमिया से मुक्त हो चुकी हैं।
कुपोषित बच्चों में अधिकांश आदिवासी और दूरस्थ वनांचलों के थे। कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के दौरान कुपोषित महिलाओं, शिशुवती महिलाओं एवं शाला त्यागी किशोरियों एवं 51,455 आंगनबाड़ी केन्द्रों के लगभग 27 लाख हितग्राहियों को भी घर-घर जाकर रेडी-टू-ईट फूड वितरित किया गया। छत्तीसगढ़ राज्य में कौशल्या मातृत्व योजना संचालित की जा रही है। इस योजना के तहत महिलाओं के पोषण में सुधार के लिए द्वितीय संतान बालिका के जन्म पर राज्य द्वारा 5 हजार रूपये की एकमुश्त सहायता राशि दी जा रही है। मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना राशि को भी 15 हजार रूपए से बढ़ाकर 25 हजार रूपए कर दिया गया है। लगभग 8 हजार कन्याओं का विवाह बढ़ी हुई दर से सम्पन्न कराया गया जा चुका है।
सखी वन स्टॉप सेंटर के माध्यम से प्रदेश में 27 जिलों में पीड़ित व संकटग्रस्त, जरूरतमंद महिलाओं को उनके आवश्यकतानुसार सुविधा और सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। इन सेंटरों में विगत तीन वर्ष की अवधि में 8 हजार 826 प्रकरणों का निराकरण किया गया और 3,694 प्रकरणों में महिलाओं को आश्रय सुविधा प्रदान की
गई। महिला हेल्प लाईन 181 के माध्यम से 2 हजार 793 प्रकरणों का निराकरण किया गया है।
महिला स्व-सहायता समूहों को सक्षम योजना के तहत स्व व्यवसाय के लिए 2 लाख रूपए का ऋण प्रदान किया गया है। छत्तीसगढ़ महिला कोष के माध्यम से ऋण लेने वाले महिला स्व-सहायता समूहों पर लगभग 13 करोड़ रूपए का ऋण लंबित होने के कारण इनके काम-काज ठप्प हो गए थे। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ महिला कोष द्वारा वितरित महिला समूहों का 12 करोड़ 77 लाख का बकाया ऋण माफ करने के साथ ही इस योजना में दिए जाने वाले ऋण की सीमा को भी बढ़ाकर दोगुना कर दिया है। छत्तीसगढ़ महिला कोष के लिए वर्ष 2018-19 की तुलना में इस साल बजट के प्रावधान में 30 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए 5 करोड़ 20 लाख का प्रावधान किया गया है।
राज्य में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय 5 हजार रूपए से बढ़ाकर 6500 रूपए और सहायिकाओं का 2500 रूपए से बढ़ाकर 3250 रूपए कर दिया गया है। मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का 3250 रूपए से बढ़कर 4500 रूपए किया गया है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की मृत्यु पर 10 हजार रूपए अनुग्रह राशि प्रदान की जाती थी, जिसे छत्तीसगढ़ सरकार ने बढ़ाकर 50 हजार रूपए कर दिया है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की सेवानिवृत्ति पर किसी प्रकार की वित्तीय सहायता का प्रावधान नहीं था, अब कार्यकर्ताओं को सेवानिवृत्ति पर 50 हजार रूपए और सहायिकाओं को सेवानिवृत्ति पर 25 हजार रूपए देने का प्रावधान किया गया है।

Pic Credit : dprcg.gov.in

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