• Fri. Apr 26th, 2024

Sunday Campus

Health & Education Together Build a Nation

बहुत महंगा पड़ सकता है एमएसएमई का पैसा रोकना – विनय जैन

Jun 28, 2022
Recovery strategy for MSMEs

भिलाई। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विनय कुमार जैन ने बताया कि क्रेता को माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेस का पैसा रोकना बहुत महंगा पड़ सकता है। पूरी राशि के भुगतान के साथ ही उन्हें भारी भरकम ब्याज भी देना पड़ सकता है। श्री जैन यहां एमएसएमई दिवस पर आईसीएआई-सीआईआरसी की भिलाई शाखा द्वारा आयोजित सेमीनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एमएसएमई की संख्या को देखते हुए इस क्षेत्र में अच्छा करियर बनाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि एमएसएमई सेक्टर में भुगतान संतुलन एक बड़ी समस्या रही है। 2016 में किए गए प्रावधानों के अनुसार एमएसएमई को अपने गुड्स एंड सर्विसेस के ऐवज में भुगतान 45 दिन में प्राप्त करने का अधिकार है। यदि क्रेता को माल या सेवा से संबंधित कोई भी शिकायत है तो उसे 15 दिन के भीतर इसकी सूचना निर्माता या सेवा प्रदाता को देनी होगी अऩ्यथा यह मान लिया जाएगा कि उत्पाद और सेवा शर्तों के अनुकूल है और उसे स्वीकार कर लिया गया है। इसके बाद 45 दिन के भीतर उसे भुगतान करना होगा। भुगतान रोकने पर उसे भारी भरकम ब्याज के साथ रकम चुकानी होगी। एमएसएमई को बस इतना करना है कि वह क्रेता को एमएसएमईडी एक्ट के तहत नोटिस भेजे। सभी दस्तावेजों के साथ एमएसएमई समाधान पोर्टल पर मामला दाखिल करे और इसकी प्रति को भौतिक रूप से भी फाइल करे। ऐसे मामलों के निपटारों के लिए हालांकि 90 दिन की समय सीमा है पर फिलहाल इसमें साल-दो साल लग जाते हैं। फिर भी सिविल मामले से यह कहीं अच्छा है जहां मामला शुरू होने में ही पांच साल लग जाते हैं। समाधान पोर्टल पर मामला दर्ज करना जहां निःशुल्क है वहीं भौतिक रूप से मामला दाखिल करने में 500 से लेकर अधिकतम 3-4 हजार रुपए का खर्च आता है, वसूली की राशि चाहे कितनी भी हो। वहीं अदालत में सिविल मामला दायर करने का खर्च मूल राशि का 4-5 प्रतिशत तक आता है और मामला शुरू होने में भी सालों लग जाते हैं।


श्री जैन ने बताया कि एमएसएमई के क्षेत्र में एक अच्छी बात यह है कि इसमें भुगतान की समय सीमा 45 दिन तय कर दी गई है। यह समय सीमा बाध्यकारी है। इस कानून के आने के बाद एमएसएमई क्षेत्र में एनपीए के मामलों की संख्या पूर्व के मुकाबले आधी रह गई है क्योंकि कारपोरेट, प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों और सरकारी या अर्धसरकारी उपक्रम भारी भरकम ब्याज से बचने के लिए तत्काल सेटलमेंट करने लगे हैं। यह भी प्रावधान किया गया है कि यदि क्रेता कंपनी समय पर भुगतान नहीं करती है तो सप्लायर को ऑपरेशनल क्रेडिटर मान लिया जाता है जो 10 दिन में भुगतान की मांग कर सकता है और इसके पूरा नहीं होने पर कंपनी को दीवालिया घोषित करने की याचिका दायर कर सकता है। यदि एऩसीएलटी यह याचिका स्वीकार कर लेती है तो कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के सभी अधिकार छीन लिये जाते हैं। कोई भी कंपनी ऐसी स्थिति से बचना चाहेगी, अतः वह जल्द से जल्द भुगतान कर देती है।
श्री जैन ने बताया कि फिलहाल एमएसएमई सेक्टर में इन प्रावधानों को लेकर जागरूकता नहीं है। उन्होंने ऐसे लोगों की मदद के लिए एक कोर्स डिजाइन किया है। इस कोर्स को करने के बाद इस क्षेत्र में शानदार करियर बनाया जा सकता है।
आरंभ में विशिष्ट अतिथि भिलाई शाखा के पूर्व चेयरमैन सीए बीएम सुराना ने आयोजकों को उपयोगी कार्यक्रमों के लगातार आयोजन के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि मौजूदा चेयरमैन सीए प्रदीप पाल की अगुवाई में नई परम्पराओं की नींव रखी गई है जिसमें समय की पाबंदी और पूर्व चेयरमैनों की सहभागिता सुनिश्चित करने वाली यह देश की संभवतः पहली इकाई है।
शाखा के चेयरमैन सीए प्रदीप पाल ने कहा कि विनय जैन भिलाई के ही कृष्णा पब्लिक स्कूल के सेकण्ड बैच पासआउट हैं। उन दिनों वे स्वयं भी केपीएस में वाणिज्य की क्लास लिया करते थे। उन्हें गर्व है कि विनय उनका विद्यार्थी रहा है। उन्होंने मुम्बई से 5 साल की कानून की डिग्री सीएस के साथ की और आज अपने क्षेत्र के सफलतम पेशेवर के रूप में जाने जाते हैं।
भिलाई शाखा के सचिव सूरज सोनी ने शाखा द्वारा अपने सदस्यों के लिए चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन एमओसी पायल जैन जूनियर ने किया।

Leave a Reply