दुर्ग। तामस्कर साइंस कॉलेज के संस्कृत विभाग द्वारा व्यास जयंती का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ आर एन सिंह उपस्थित थे। उन्होंने बताया कि क्योंकि हमारी प्रथम गुरु मां होती है जिससे हम बचपन से सब कुछ सीखते हैं तो वह हमारे लिए भगवान तुल्य हैं। हमें ऐसी माता का सदा सम्मान करना चाहिए। इसी प्रकार पिता भी हमारे लिए इतना त्याग करते हैं हमें सिखाते हैं वह भी दूसरे गुरु हैं। हमारे लिए वे सब गुरु हैं जो हमें कुछ भी सिखाते हैं, हमें इनका कृतज्ञ होना चाहिए। कभी ऐसा कार्य न करें जिससे इनके मन को ठेस पहुंचे।
कार्यक्रम के आयोजक संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो जनेंद्र कुमार दीवान ने संस्कृत भाषा में संचालन करते हुए इस अवसर महर्षि वेदव्यास जी के विषय में जानकारी प्रदान की। महर्षि वेदव्यास जी ने वेदों को विभाजित कर उन्हें गुरु परंपरा से संरक्षित करने का कार्य किया तथा अपने चार शिष्यों को वेदों का ज्ञान दिया, जिसकी परंपरा आज भी बनी हुई है। उन्होंने महाभारत और पुराणों की रचना की जो कि सनातन संस्कृति में बड़ा महत्व रखते हैं।
हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ अभिनेश सुराना ने गुरु के महत्व पर प्रकाश डाला। अर्थ शास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ शिखा अग्रवाल ने सदा गुरु का सम्मान करते हुए जीवन में आगे बढ़ने को लेकर विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया। आज सभी संकल्प लें कि वे विद्या का आदर करेंगे और विद्या प्रदाता गुरु जनों से सदा सीखेंगे। अर्थ शास्त्र की प्राध्यापक डॉ अंशुमाला ने भी छात्र छात्राओं को इस अवसर पर प्रेरित किया। कार्यक्रम में संस्कृत तथा हिंदी विभाग के बहुत से छात्र छात्राएं सम्मिलित हुए।