थानखम्हरिया. छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव को 14-15 महीने रह गए हैं. 15 साल सत्ता में रहकर बेघर हुई भाजपा छटपटा रही है. भाजयुमो का एक बड़ा हुजूम इकट्ठा किया गया. राजधानी रायपुर का एक पूरा दिन बर्बाद हो गया. मुख्यमंत्री निवास के आगे भाजपा का झंडा फहरा दिया गया. तमाम तामझाम और बतोलेबाजी के बीच कांग्रेस ने गुपचुप अपना काम कर दिया. इधर भाजपाई राजधानी में डेरा डाले रहे और उधर थानखम्हरिया में उनकी स्थानीय सरकार गिर गए. ढाई साल पहले कांग्रेस बहुमत वाले इस नगर पंचायत में भाजपा की अंजना राजेश ठाकुर को अध्यक्ष चुना गया था. नगर पंचायत की कुल 15 में से 10 सीटें कांग्रेस के पास पहले ही थी. वह जब चाहती अविश्वास प्रस्ताव ला सकती थी. पर उसने ऐसा नहीं किया. उसने सही समय का इंतजार किया. बड़ा झटका यह कि भाजपा समर्थित एक पार्षद ने भी क्रास वोटिंग कर दिया. अब कांग्रेस की तितली गौरव बिंदल को अध्यक्ष चुन लिया गया है. प्रदेश भाजपा के लिए सिर मुंडाते ही ओले पड़े की कहावत चरितार्थ हो गई. अविश्वास प्रस्ताव लाने के पीछे का मूल कारण शहर के विकास कार्य न होना है। कांग्रेस पार्षदों की माने तो नपं अध्यक्ष अंजना राजेश ठाकुर द्वारा शहर के विकास कार्य पर ध्यान नहीं दिया जा रहा था। साथ ही उनके द्वारा जनहित के मुद्दों में कभी भी आगे नहीं रह रहीं थी। नगर में साफ सफाई नहीं होने, पेयजल व्यवस्था, अध्यक्ष द्वारा मनमानी किए जाने व सामान्य सभा की बैठक 6से 9 माह बाद लिए जाने समेत अन्य कारण थे। नपं में अभी तक पीआईसी का गठन भी नहीं हुआ था। वार्डों में काम नहीं होने से वार्डवासियों द्वारा पार्षदों के ऊपर नाराजगी व्यक्त किया जाता।