भिलाई। पिछले कई वर्षों से सर्पों को पकड़कर उनका उद्धार करने में लगे भावनाथ को आखिर कोबरा सांप ने डंस लिया. कोबरा ने उनके हाथ पर दो स्थानों पर दांत गड़ा दिये. भावनाथ ने तत्काल अपनी बांह को ऊपर से कसकर बांधा और हाइटेक अस्पताल आ पहुंचा. तब तक जहर बांह के विभिन्न हिस्सों में फैल चुका था और खून का थक्का बनने के कारण धमनियां चोक हो गई थीं. समय पर अस्पताल पहुंच जाने के कारण भावनाथ की जान बच गई.
भावनाथ ने बताया कि घटना 12 अगस्त की है. वह पदुमनगर, चरोदा का निवासी है. देर शाम उसे भिलाई के राधिकानगर से कॉल आया. उस समय वह भिलाई में ही था. वह तत्काल घटनास्थल पर पहुंच गया. कोबरा एक तंग जगह में घुसा हुआ था. उसने सावधानी से उसे पकड़ने की कोशिश शुरू की पर तभी बिजली चली गई. आम तौर पर वे अंधेरे में सांप पकड़ते समय टार्च का उपयोग करते हैं पर उस दिन वे टार्च जलाना भूल गए थे. उन्हें दिखाई देना बंद हुआ और कोबरा ने अपना काम कर दिया. उसने बाएं हाथ के अंदर की ओर गद्दीदार स्थान पर अपने दांत दो बार गड़ा दिये. उन्होंने तुरन्त बांह को ऊपर से कसकर बांध लिया और अस्पताल पहुंच गए.
हाईटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल के जनरल एवं लैप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ नवील शर्मा ने बताया कि कोबरा का जहर बहुत तेज होता है. जहर हाथ के विभिन्न हिस्सों में फैल गया था और वहां की धमनियां और नसें नष्ट हो चुकी थीं। बड़ी सावधानी उन स्थानों को काटकर शरीर से अलग करना पड़ा. चार स्थानों पर इस तरह की सर्जरी करनी पड़ी. क्रिटिकल केयर टीम ने पांच दिनों तक आईसीयू में कड़ी मशक्कत की और भावनाथ तिवारी कोबरा विष को मात देने में सफल हो गया. कुछ दिन उसे वार्ड में रखा गया और मंगलवार को उसे छुट्टी दे दी गई.
भावनाथ तिवारी ने बताया कि वह कई वर्षों से सर्पों को पकड़ने और उनका पुनर्वास करने में लगा हुआ है. वह अब तक 4000 से भी अधिक सर्प पकड़ कर उन्हें उनके नेचुरल हैबिटेट में छोड़ देता है. पानी वाले सांप को पानी के पास, जंगलों में रहने वाले सर्पों को जंगल में छोड़ा जाता है. उसने कोबरा, रसेल वाइपर जैसे भयंकर विषधर सर्पों को भी पकड़ा है पर जरा सी चूक उसकी जान पर बन आई थी.