साहिर लुधियानवी की एक नज्म है – “वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन, उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा”. यह सीख शराब बंदी पर एकदम फिट बैठती है. शराब है कि छूटती नहीं. जिन राज्यों में शराब बंदी है, दारू मिलती वहां भी है. थोड़ी महंगी मिलती है, चोरी छिपे पीना पड़ता है पर इसका अलग रोमांच है. छत्तीसगढ़ के शिक्षा मंत्री प्रेम साय सिंह टेकाम शायद यही मानते हैं कि पूर्ण शराब बंदी एक शिगूफा मात्र है. शराब बंदी करते ही इसकी तस्करी शुरू हो जाती है. पीने वाले पीते हैं पुलिस वाले अवैध कमाई करते हैं. सरकार अंगूठा चूसती रह जाती है. अब जब शराब बंदी संभव नहीं है तो कम से कम उसे पीने का सलीका ही सीख लिया जाए. उन्होंने ऐन यही किया. उन्होंने बताया कि शराब को पहले पानी मिलाकर डायल्यूट करना चाहिए. कितना डायल्यूट करना है इसे सीखना चाहिए. शराब को गटागट नहीं पीना चाहिए बल्कि चुस्कियां लेकर धीरे-धीरे उसका आनंद लेना चाहिए. देश के तमाम होटल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट्स में इसके बारे में विस्तार से पढ़ाया जाता है. इस विधा को सोमेलियर कहा जाता है. सोमेलियर एक शानदार करियर भी है. दिक्कत केवल यह हो गई कि उन्होंने गलत मंच चुना. वे नशा मुक्ति पर बोल रहे थे और सुनने वाले स्कूली विद्यार्थी थे. यह घटना बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर की है. उन्होंने कवि हरिवंशराय बच्चन की कविता भी सुनाई कि “मंदिर-मस्जिद बैर कराते, एक कराती मधुशाला”. उन्होंने सहजता से इसे स्वीकार भी किया कि वे भी कभी-कभी इसका उपयोग करते हैं. उन्होंने स्वीकार किया कि चुनावों में इसका जमकर उपयोग किया जाता है, अन्यान्य अवसरों पर भी इसका खूब उपयोग किया जाता है. दिक्कत यह भी हुई कि उनके इन बोलबचनों की रिकार्डिंग सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. पर लोगों को उनपर गुस्सा नहीं आ रहा. वे मुग्ध हैं कि किस तरह कोई मंत्री अपने करियर का रिस्क उठाकर अपने दिल की बातें कर सकता है. कोई कह रहा है – “इसे कहते हैं मन की सच्ची बात।” अब शराब की लत नहीं छोड़ी जाती तो न सही, कम से कम उसे पीने का सही सलीका तो सीख लो. अमेरिका, यूरोप जैसे देश शराब पीकर भी तरक्की कर रहे हैं और अपने यहां का बेवड़ा शराब पीकर नालियों में गिर रहा है, बीमार हो रहा है, लिवर सुजा रहा है, झगड़े कर रहा है. शिक्षा मंत्री जानते हैं कि यह सब शराब की वजह से नहीं बल्कि उसे गलत ढंग से पीने के कारण हो रहा है. वे शिक्षा मंत्री हैं इसलिए लोगों को शराब पीने का सही तरीका बताना भी उनका फर्ज है. इसीलिए कहते हैं “वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन, उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा.”